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इंतज़ार ....

भोर की पहली किरण
सर्द हवा
आधी जागी
आधी सोयी
तू गर्म शाल में लिपटी
बालकनी के कोने में
हाथों में
कॉफी का कप लिए
यक़ीनन
मेरे आने का
इंतज़ार करती होगी
कितना
रुमानियत भरा होगा
वो मंज़र
तेरी आँखों में
मेरे आने के
इंतज़ार का

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 440

Comment

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Comment by Sushil Sarna on December 21, 2016 at 8:48pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति के भावों को अपनी आत्मीयता से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 20, 2016 at 11:29pm

आदरणीय सुशील सरना सर, बढ़िया भावाभिव्यक्ति. हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2016 at 4:38pm

आदरणीय   Mahendra Kumar    जी प्रस्तुति को अपने स्नेह का आशीर्वाद देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Mahendra Kumar on December 18, 2016 at 10:45am
आदरणीय सुशील सरना जी, बढ़िया भावपूर्ण रचना है। आपको ढेरों बधाई। सादर।
Comment by Sushil Sarna on December 16, 2016 at 8:18pm

आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन को अपने आशीर्वाद से नवाज़ने का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2016 at 8:18pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति के भावों को अपनी आत्मीयता से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।

Comment by Samar kabeer on December 16, 2016 at 4:04pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,इन्तिज़ार के लम्हों को बहुत अच्छे शब्दों में अल्फ़ाज़ का रूमानी जामा पहनाया है आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 16, 2016 at 3:18pm
अच्छे रूमानी भाव लिए हुई यह कविता अच्छी है । हार्दिक बधाई आदरणीय ।

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