इंतज़ार ....
भोर की पहली किरण
सर्द हवा
आधी जागी
आधी सोयी
तू गर्म शाल में लिपटी
बालकनी के कोने में
हाथों में
कॉफी का कप लिए
यक़ीनन
मेरे आने का
इंतज़ार करती होगी
कितना
रुमानियत भरा होगा
वो मंज़र
तेरी आँखों में
मेरे आने के
इंतज़ार का
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति के भावों को अपनी आत्मीयता से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुशील सरना सर, बढ़िया भावाभिव्यक्ति. हार्दिक बधाई. सादर
आदरणीय Mahendra Kumar जी प्रस्तुति को अपने स्नेह का आशीर्वाद देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन को अपने आशीर्वाद से नवाज़ने का तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति के भावों को अपनी आत्मीयता से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।
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