For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसके दरबार में ……………

उसके दरबार में ……………

पूजा कहीं दिल से की जाती है
तो कहीं भय से की जाती है
कभी मन्नत के लिए की जाती है
तो कभी जन्नत के लिए की जाती है
कारण चाहे कुछ भी हो
ये निश्चित है कि
पूजा तो बस स्वयं के लिए की जाती है
कुछ पुष्प और अगरबती के बदले
हम प्रभु से जहां के सुख मांगते हैं
अपने स्वार्थ के लिए
उसकी चौखट पे अपना सर झुकाते हैं
अपनी इच्छाओं पर
अपना अधिकार जताते हैं
इधर उधर देखकर
प्रभु के परम भक्त होने पर इतराते हैं
अपने स्वार्थ के लिए
चन्द सिक्के दान कर
महा दानी बन जाते हैं
इस काया और माया पे
किसका अधिकार है
ये भी भूल जाते हैं
जानते हैं इस नश्वर संसार में
हर शै नाशवान है
फिर भी अपनी साँसों पे
कितना अभिमान है
मंदिर जाकर शायद
भौतिक संतुष्टि तो हो जाएगी
मगर
उसके दरबार में
जब तक
अहं के ताज़ को तज कर
निस्वार्थ भाव से
सर न झुकायेंगे
न ईश
हमें मिल पायेगा
न हम
ईश के हो पाएंगे

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 23, 2016 at 7:19pm

आदरणीय    narendrasinh chauhan जी रचना में  निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by narendrasinh chauhan on December 23, 2016 at 5:48pm

खूब सुन्दर रचना

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2016 at 8:56pm

आदरणीय  गिरिराज भाई साहिब  रचना के मर्म को अपनी आत्मीय स्वीकृति से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2016 at 8:55pm

आदरणीय   Mahendra Kumar  जी रचना में  निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2016 at 8:53pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर    जी रचना में निहित भावों को अपनी सहमति से अलंकृत कर उसका मान बढाने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2016 at 8:51pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'   जी रचना के मर्म को सहमति देती आपकी आत्मीय  प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 21, 2016 at 5:11pm

आदरनीय सुशील भाई , एक कटु सत्य लिखा है आपने, हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Mahendra Kumar on December 21, 2016 at 11:35am
आदरणीय सुशील सरना जी, प्रार्थना विषय पर बढ़िया संदेशपरक कविता लिखी है आपने। मेरी तरफ से आपको हार्दिक बधाई। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 21, 2016 at 12:08am

आदरणीय सुशील सरना सर, प्रार्थना के महत्त्व, उसकी वास्तविकता और उसके सार को शाब्दिक करती बहुत बढ़िया संदेशप्रद प्रस्तुति हुई है. वास्तव प्रार्थना का मूल निस्वार्थ भाव ही  है.  इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2016 at 7:29pm
आदर्णीय सुशील सरना जी, पूजा तो अपने लिए ही की जा रही है, एकदम सत्य कथ्य, आपको अच्छी रचना के लिए बधाई निवेदित हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service