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मीत नहीं
संगीत नहीं
प्रेम का कोई गीत नहीं ।

दिल ही नहीं
धड़कन ही नहीं
जीवन की यह रीत नहीं ।

इंसान हैं तो दिल भी होगा
दिल में बसा संगीत भी होगा
बिन संगीत जीवन नहीं ।
बिना प्रीत के मिलन नहीं ।

गाओ गाओ मधुर तराने
प्रेम के होते बहुत फ़साने
बिना फ़साने के प्रेम नहीं
प्रेम नहीं तो जीत नहीं ।

जियो जियो तो ऐसे जियो
मधुर प्रेम के प्याले पियो
प्याले में मिश्री भी घोलो
मीठी मीठी वाणी बोलो ।

प्रेम के गीत जब गाओगे
मन के मीत को पा जाओगे
गीत भी होगा
मीत भी होगा
मधुर मधुर संगीत भी होगा ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 4, 2017 at 9:59pm
वाह अतीव सुन्दर पेशकश
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 9:09pm
आदाब जनाब समर साहब । सादर धन्यवाद आदरणीय ।
Comment by Samar kabeer on January 4, 2017 at 8:48pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत अच्छा लगा आपका ये प्रेम गीत,इस सुंदर प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:35pm
धन्यवाद आदरणीय सुशील सरना सर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:34pm
धन्यवाद आदरणीय सतविन्द्र भैया ।
Comment by Sushil Sarna on January 4, 2017 at 8:27pm

आदरणीया कल्पना भट्ट  जी इस सुंदर प्रेम रस के भाव गीत के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 4, 2017 at 4:30pm
उम्दा प्रस्तुति!हारदिक बधाई आदरणीया कल्पना दीदी!

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