नियति चक्र में
परिवर्तन निश्चित अंकित है,
होना है, हो कर रहता है...
समय प्रबल है
जोड़-तोड़ से कब बंधता है
बहना है, प्रतिपल बहता है...
आँख मींचते
आवरणों को क्यों पकड़ा है ?
छोड़ो इनको, हट जाने दो,
धुंध सींचते
संबंधों के रिसते बादल
गर्जन करके छट जाने दो,
मकड़जाल में
अपने मन के फँसे रहे तो
फिर क्या होगा? कुछ तो सोचो !
भीतर-बाहर
परिवर्तन तो करना होगा
जमी सोच की परतें कोंचो,
बरसों इसको
किया अनसुना, तो क्या पाया ?
सुनो ज़रा ! मन क्या कहता है ?
विषबेलों के साए में
केसर को बोना,
हो चाहे जितना भी मुश्किल !
आँखों में बस जाए तो
मुश्किल कब पाना-
चाहे क्षितिज पार हो मंजिल ?
पार करेंगे
पंछी कैसे सात-समंदर
तट पर बैठे अगर डरें तो,
ताना-बाना
सब केसरिया हो जाएगा
निश्चय कर यदि यत्न करें तो,
ना सुधरी तो
पंगु सभ्यता ढह जाएगी
किला रेत का ज्यों ढहता है...
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीया प्राचीजी, वाह बेहतरीन नवगीत । बधाई स्वीकार करें ।
परिवर्तन पर आधारित इस गीत पर उत्साहवर्धन करने के लिए सादर धन्यवाद आ० गिरिराज भंडारी जी
आदरणीय आशुतोष जी
नवगीत के शिल्प को इतनी गहनता के साथ समझने का प्रयास करते देख कर बहुत अच्छा लग रहा है.
नवगीत, पारंपरिक गीतों की नीँव पर खड़े हो कर भी उनसे काफी भिन्न होते हैं, इसमें गति यति ले अंतर्गेयता आदि के प्रयोगों के लिए अनंत आकाश है
प्रस्तुत गीत ८/१६/१६/ पर न देख कर इसकी एक पंक्ति को २४-१६ मात्रिकता पर देखें
तुकांत ४० -४० पर मिलाए गए हैं
आप देखिये
फिर कोई संशय होता है तो पुनः चर्चा करते हैं
सादर
आदरणीया प्राची जी , आमूल चूल परिवर्तन के लिये सचेत करता नवगीत बहुत अच्छा लगा । आपको हार्दिक बधाइयाँ नवगीत के लिए।
आदरणीया प्राची जी ..इस शानदार गीत के लिए हार्दिक बधाई / आपके गीतों से गीतों को सीखना शुरू किया है /इस बिधा में मेरी कोई जानकारी नहीं है / मैं कोई प्रश्न नहीं उठा रहा हूँ बस एक निवेदन कर रहा हूँ /
विषबेलों के साए में
केसर को बोना,
हो चाहे जितना भी मुश्किल !
आँखों में बस जाए तो
मुश्किल कब पाना-
चाहे क्षितिज पार हो मंजिल ? हर पद में ८ १६ १६ ८ १६ १६ का मात्रिक क्रम समझ में आया लेकिन इस पद में मैं थोडा भ्रमित हूँ / गीत के बिषय में जानकारी संक्षिप्त है / गीत पर कोई लेख भी नहीं मिल पा रहा है //आपके नजरिये से गीत के बिषय में आपकी अब तक अर्जित विषद जानकारी से मार्गदर्शन की अपेक्षा एवं विनम्रता के साथ निवेदन के साथ सादर
प्रस्तुत अभिव्यक्ति पर उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए सादर धन्यवाद आ० समर कबीर जी , आ० शेख शाहजाद उस्मानी जी , और आ० मो० आरिफ जी
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