घनाक्षरी में आज का प्रयास
***
चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है
.
योजनाएं बड़ी बड़ी
बनाते है हर दिन
कैसे करना घोटाला
देश ये महान है
.
हर योजना में यहॉ
देश के खजाने पर
हुआ गड़बड़ झाला
देश ये महान है
.
बेटियां सुबक रही
डर के दुबक रही
राम व रहीम वाला
देश ये महान है
.
मौलिक व अप्रकाशित
Alka*
Comment
आदरणीय Dr.Ashutosh Mishra ji ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद । सादर।
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी जी ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद । सादर।
आदरणीया अलका जी रचना पर हार्दिक बधाई सादर
आदरणीया अलका जी, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर
आदरणीय मुहम्मद आरिफ जी ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद । सादर।
आदरणीय अशोक कुमार जी ,उत्साह वर्धक सराहना के लिए सादर धन्यवाद । सादर।
आदरणीय सौरभ सर ,आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए सादर धन्यवाद । सुझाव अनुसार सुधार करती हूँ। सादर।
वाह ! वाह ! बहुत सुंदर घनाक्षरी है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीया अलका ललित जी. सादर.
इस सद्प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयाँ ..
कथ्य पर अधिक न कहूँगा, सिवा इसके कि व्यंग्य का पुट सामयिक है.
पहली पंक्ति को यों करें -
चेहरा चमक रहा
बटुआ खनक रहा
सबका है मन काला
देश ये महान है
विश्वास है, गेयता के सापेक्ष यह सुधार अपेक्षित लग रहा होगा..
शुभ-शुभ
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