For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ई-मौजी ...

आज के दौर में
क्या हम ई-मौजी वाले
स्टीकर नहीं हो गए ?

भावहीन चेहरे हैं
संवेदनाएं
मृतप्रायः सी जीवित है


अब अश्क
अविरल नहीं बहते
शून्य संवेदनाओं ने
उन्हीं भी
बिन बहे जीना
सिखा दिया है
हर मौसम में
सम भाव से
जीने का
करीना सिखा दिया है

अब कहकहा
ई-मौजी वाली
मुस्कान का नाम है
ई-मौजी सा ग़म है
ई-मौजी से चहरे हैं
ई-मौजी से रिश्ते हैं
हर क्रिया की
प्रतिक्रिया का नाम
ई-मौजी है
लगता है
ई-मौजी अब
नवयुग की पहचान है

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 24, 2017 at 2:50pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'    जी सृजन में निहित भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by नाथ सोनांचली on March 24, 2017 at 5:38am
आदरनीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन, बहुत अच्छी बात कहीं आपने, बहुत गहरी बातें, बधाई।
Comment by Sushil Sarna on March 22, 2017 at 8:17pm

 आदरणीया प्रतिभा जी रचना के मर्म को अपनी आत्मीय प्रशंसा से शोभित करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 22, 2017 at 8:14pm

आदरणीय सतविंदर जी रचना के मर्म को अपनी सहमति देती प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।  आदरणीय सीख पर आपका संशय ठीक है ये टंकण त्रुटि है न कि मात्रिक ज्ञान की अज्ञानता। मैं इसे संशोधित कर पुनः प्रेषित कर दूंगा। इस हेतु आपका हार्दिक आभार। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 22, 2017 at 2:20pm
वाह्ह वाह्ह्ह् आदरणीय sushil sarna जी,उम्दा बिम्ब उकेरे हैं आपने।उत्तम रचनाकर्म के लिए हार्दिक बधाई।
सीखा दिया सही शब्द है सिखा दिया,इसमें संशय है।सादर
Comment by pratibha pande on March 22, 2017 at 12:09pm

सामयिक विषय की आपकी ये रचना बहुत प्रभावी है,  हम सब को अपने अन्दर कहीं झाँकने के लिए  प्रेरित करती हुई   हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on March 21, 2017 at 8:13pm

आदरणीय   Mohammed Arif     साहिब  सृजन के भावों पर अपनी सहमति देती आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Mohammed Arif on March 21, 2017 at 6:12pm
वाह वाह वाह क्या कविता का विषय चयन किया है आपने । सचमुच हमारी सारी संवेदनाएँ ई हो गई है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service