2122 1212 22 /112
मेरी साँसें रवाँ - दवाँ कर दे
फिर लगे दूर आसमाँ कर दे
प्यासे दोनों तरफ़ हैं , खाई के
है कोई.. ? खाई जो कुआँ कर दे
वो ठिकाना जहाँ उजाला हो
सब की ख़ातिर उसे अयाँ कर दे
दुश्मनी घुट के मर न जाये कहीं
आ मेरे सामने , बयाँ कर दे
ऐ ख़ुदा, क्या नहीं है बस में तिरे
हिन्दी- उर्दू को एक जाँ कर दे
कैसे देखूँगा मै ये जंग ए अदब
मेरी आँखे धुआँ धुआँ कर दे
वो अकेला है राह ए हक़ में, उसे
है दुआ मेरी, कारवाँ कर दे
मेरी बातें हों नागवार जिन्हें
रू ब रू उनके, बे ज़बाँ कर दे
******************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तस्दीक भाई - घरेलू काम मे व्यस्त होने के कारण देर से उपस्थित हो पाया -- क्षमा कीजियेगा ।
ग़ज़ल पर उअपस्थिति और सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय सुशील भाई , घरेलू काम मे व्यस्त होने के कारण देर से उपस्थित हो पाया -- क्षमा कीजियेगा ।
उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय समर भाई - घरेलू काम मे व्यस्त होने के कारण देर से उपस्थित हो पाया -- क्षमा कीजियेगा ।
ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरनीय -- मतले मे आप - सांसों मे गतिशीलता चाहने से .. अभी घुटन है ये समझिये ... और
आसमान को गंतव्य या मंज़िल का प्रतीक मानिये .... और आसमान एक नही सात हैं .. इसका भी खयाल रखें तो शेर की बात साफ समझ मे आ जायेगी । सादर
आदरनीय आरिफ भाई -- घरेलू काम मे व्यस्त होने के कारण देर से उपस्थित हो पाया -- क्षमा कीजियेगा ।
गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय गिरिराज भाई जी फिर से आपकी गजल का मतला पढ़ा उला तो समझ आ गया कि आसानी चाहते है आप । क्या सानी में आपका आशय अासमान के प्रयोग में कठिनाईयों से है पहले मेरा वर्तमान सुधार दो फिर आसमान से भी पार पा जाउंगा । कुछ ऐसा समझ में आया है हो सकता है सानी मिसरे में कुछ वाक्य के संयोजन में किसी शब्द की कमी हो जिससे ऐसा भ्रम हुआ हमें । सादर
आ. गिरिराज सर अच्छी रचना हुई है बधाई आपको, बाकी समर साहब ने कह ही दिया है
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online