मोमबत्ती जलाते हुए एक व्यक्ति ने कहा-"लो हम भी निर्भया के नाम आज एक मोमबत्ती जला देते हैं उसकी मम्मी की तरह!"
"तो निर्भया और उसकी मम्मी के नाम हो जाये एक और जाम!" दूसरे व्यक्ति ने अगला पैग बनाते हुए कहा।"
"सालों को रेप और वो सब करना ही था, तो ऐसे करते कि फांसी की सज़ा न हो पाती! गये साल्ले काम से, फांसी की सज़ा कन्फर्म!" अख़बार का मुख्य पृष्ठ लहराते हुए तीसरे व्यक्ति ने नशे में कहा।
पांच साल पहले निर्भया नाम की युवती पर कुछ युवकों ने एक निजी बस में हमला कर निर्ममता से बलात्कार कर उसके अंग क्षत-विक्षत कर बस से नीचे फैंक दिया था। कुछ दिनों के बाद उस युवती की मृत्यु हो गई थी। क्रूर 'रेअरेस्ट ओफ रेअर केस' में आज सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सज़ा की पुष्टि कर दी थी।
शराब के नशे में चूर इन तीनों व्यक्तियों को अख़बार में छपे पूरे समाचार को पढ़कर सुनाते हुए चौथे व्यक्ति ने ठहाका लगाते हुए कहा- "हम चारों महारथी तो 'फैअरेस्ट ओफ फेअर' हैं, न हम ख़ुदक़ुशी करने की नौबत आने देते हैं, न किसी केस को फेस करके फांसी की सज़ा पाने की!"
"कर सब कुछ लेते हैं यारा!"
"अफेयर हो, रेप हो या हो 'कोई 'हनी ट्रैप', अगर हुस्न चाहिए, तो ख़ुद को बचाने का हुनर भी चाहिए,हा हा हा!"
नशीले स्वर में कक्ष में ये शब्द गूंजते रहे और पैग पर पैग लेते हुए उद्योग जगत, फ़िल्म जगत, राजनीति और धनाढ्य वर्ग के चारों उन्मुक्त व स्वच्छंद यौन-शोषण अपराधी ख़ुद को महारथी कहते गये।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
वाह! क्या ज़बरदस्त लघुकथा हुई है आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी. आपके इस कथानक से मैं भी पूरी तरह इत्तेफ़ाक रखता हूँ. इस शानदार लघुकथा के लिए दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. शीर्षक को ले कर एक सुझाव है कि इसे "चार महारथी" की जगह केवल "महारथी" ही रखा जाए. ऐसा करने से इस रचना का फलक और भी ज्यादा बढ़ जाएगा. सादर.
गज़ब की अभिव्यक्ति , वाह आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani जी
बहुत ही बढ़िया रचना कही है आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब, अपराध कर के जो पकड़ा जाये वो अपराधी और जो बच जाये वो महारथी| सादर बधाई स्वीकार करें इस रचना के सृजन हेतु|
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