For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ट्राइएंगल : सिस्टम, कस्टम और ट्रेंड (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

दादा जी कहीं चले गए थे। पिताजी नहा-धो कर तैयार हो कर अपने मोबाइल चार्ज़ कर रहे थे। इंटरनेट के लिए बड़ा डाटा पैक अपने व बेटे के मोबाइलों की सिमों में कल ही डलवा लिया था। आज बोर्ड की दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित होने वाला था समाचारों के अनुसार दोपहर बारह बजे सभी अपने मोबाइलों, टी.वी. या लेपटॉप से चिपके हुए थे। मन्नू दोस्तों से मोबाइल पर वीडियो-कॉल पर बातचीत में मशगूल था।

"क्यों रे वेबसाइट खुली क्या?" दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई।

"नहीं भाई, लगता है रिज़ल्ट अभी अपलोड हो रहा है।"

"बहुत टेंशन में हूं, बाप क़सम!"

"मुझे नहीं है चिंता, मेरा तो भेजा ख़राब हो गया। सुन, समाचार है कि उस राज्य का एक और टोपर गिरफ़्तार हो गया, भैंस की टांग, ये हो क्या रहा है एजूकेशन सिस्टम को!"

दो-चार देसी गालियों के साथ दूसरी तरफ़ से दोस्त ने कहा- "जब तक रिज़ल्ट अपलोड हो रहा है, तू उसी कैफ़े पर पहुंच, पूरी टोली वहीं पर है!"

"अबे, रिज़ल्ट के चक्कर में अभी पापा घर पर ही हैं!"

"ओये लल्लू, पापा से कह दे कि ट्यूशन सेंटर पर एक्स्ट्रा बैच में बुलाया है सर ने!"

इधर बातचीत चल रही थी, कमरे के दरवाज़े पर खड़ी मम्मी बेटे को व्यस्त देखकर रसोई में चलीं गईं। बेटे के मन पसंद इडली-सांभर तैयार हो रहे थे । पापा जी भिन्न बेवसाइट्स पर माथापच्ची कर रहे थे।

तभी अचानक दादाजी का घर में प्रवेश हुआ। मन्नू के कमरे की ओर जाते हुए बोले-" बेटे मन्नू, ए-वन ग्रेड आया होगा न! लो मेरी तरफ़ से ये गिफ़्ट और मिठाई!"

लेकिन कमरे में कोई नहीं था। मन्नू बाइक से कैफ़े जा चुका था।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 863

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 6, 2017 at 1:09pm
आप सभी सुधि व अनुभवी पाठकों की दुआओं और हौसला अफ़ज़ाई से यूं मेहनत हो जाया करती है। ३०-४० रचनायें लिखने पर कोई एक रचना जब लघुकथा के सांचे में फिट हो जाती है, तो बड़ी संतुष्टि मिलती है। यह सच है कि सुधि व अनुभवी लघुकथाकारों की लघुकथाएं दिलो-दिमाग़ से पढ़ने व उन पर अपनी पाठकीय टिप्पणियां करने से अपनी स्वयं की लेखनी में सतत् विकास/सुधार होता है। हालांकि हम अभी उतनी मेहनत नहीं कर रहे हैं,जितनी की जानी चाहिए। आभासी दुनिया से मिल रहे प्रोत्साहन के अलावा काश स्थानीय वास्तविक मार्गदर्शन हमें मिल पाता।
मेरी रचना पटल पर समय देकर अनुमोदन व हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब महेन्द्र कुमार जी।

शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
(6-6-2017)
Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 7:22pm

आ. शेख़ शहजाद उस्मानी जी, आप अपनी लघुकथाओं पर बहुत मेहनत करते हैं. इस बात का पता आपके इस शीर्षक से भी चलता है. शिक्षा जगत् से जुड़ी विसंगतियों को आपने इसमें अच्छे से उकेरा है. आ. डॉ. विजय शंकर जी ने आपकी इस लघुकथा की समीक्षा बहुत अच्छे से की है. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 4, 2017 at 10:31am
पहली बार इस तरह की टिप्पणी पाकर बहुत ख़ुशी हुई। रचना के अनुमोदन व हौसला अफजाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विजय निकोरे जी।
Comment by vijay nikore on June 4, 2017 at 5:16am

लघुकथा हर दृष्टिकोण से मुकम्मल है। हार्दिक बधाई, आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 3, 2017 at 11:39pm
रचना के अनुमोदन हेतु और इसके संदेशों पर अपने सटीक विचार साझा करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर जी। आपकी टिप्पणी से यक़ीन हो गया कि इस बार मेरा प्रयास अच्छा रहा।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 3, 2017 at 11:33pm
आपकी निरंतर प्रोत्साहक टिप्पणियां मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। सादर हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब और डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 3, 2017 at 9:34pm
जीवन में पढ़ाई एक सिस्टम है , पढ़ना एक कस्टम है , पढ़ाई की उपेक्षा करना आज का ट्रेंड है , पढ़े - लिखे को अपमानित करना , तिरस्कृत करना , उसके सामने अनपढ़, को प्रशस्ति प्रदान करना , पदासीन करना , खरीदी हुयी डिग्रियों वालों की जय जयकार करना , सभी आज का ड्रेंड है.
हम सिस्टम और कस्टम की उपेक्षा कर रहें हैं क्योंकि वही आज का ट्रेंड है और ड्रेंड में रहना है।
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , इस उद्देश्य पूर्ण प्रस्तुति पर बधाई। सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 3, 2017 at 7:52pm

बहुत बढ़िया

 

 

 

Comment by Mohammed Arif on June 3, 2017 at 5:13pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, सामयिक और ज्वलंत लघुकथा । पढ़कर लगा सबकुछ सामने ही घटित हो रहा है । ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service