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हास्य ग़ज़ल - खूब फटे में टांग अड़ाएं

यार चलो  नेता बन जाएँ

खूब  फटे  में टाँग अड़ाएँ  

 

शेयर जैसे सुबह उछलकर,

लुढ़क शाम को नीचे आएँ

 

जंतर मंतर पर जाकर हम,

मूंगफली  का  भाव बढ़ाएँ

 

उल्टा पुल्टा बोल बोल कर,

चप्पल, जूते, थप्पड़ खाएँ

 

यदि विपक्ष में पड़े बैठना,

संसद में हम शोर मचाएँ

 

कभी किसी पर कभी किसी पर,

अपनी उँगली रोज उठाएँ

 

आये जब चुनाव का मौसम,

चंदा लेकर मौज उड़ाएँ

 "मौलिक एवं अप्रकाशित "

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2017 at 5:21pm

आदरणीय  Saurabh Pandey जी , आपके आशीष को सादर नमन 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 17, 2017 at 4:16pm

हास्य की छौंक के साथ पठनीय ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने आदरणीय बसंत भाई जी. 

शुभ-शुभ

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2017 at 3:54pm

ह्रदय से आभार आपका आदरणीया KALPANA BHATT  जी  

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 6:31pm

बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय | हार्दिक बधाई |

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2017 at 12:33pm

ह्रदय से आभार आपका आदरणीय  Mohammed Arif  जी  

Comment by Mohammed Arif on June 10, 2017 at 10:47pm
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, बहुत बढ़िया हास्य ग़ज़ल । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 7, 2017 at 8:54pm

ह्रदय से आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 7, 2017 at 8:54pm

ह्रदय से आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी आपका

Comment by Mahendra Kumar on June 7, 2017 at 7:37pm

व्यंग्यात्मक पुट लिए बहुत ख़ूब मज़ाहिया ग़ज़ल कही है आपने आ. बसंत जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Ravi Shukla on June 7, 2017 at 2:07pm

आदरणीय बसंत जी बहुत बढि़या गजल कही है आपने शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करें ।

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