तुम्हारी कसम ...
सच
तुम्हारी कसम
उस वक़्त
तुम बहुत याद आये थे
जब
सावन की फुहारों ने
मेरे जिस्म को
भिगोया था
जब
सुर्ख़ आरिज़ों से
फिसलती हुई
कोई बूँद
ठोडी पर
किसी के इंतज़ार में
देर तक रुकी रही
जब
तुम्हारे लबों के लम्स
देर तक
मेरे लबों से
बतियाते रहे
जब
घटाओं की
कड़कती बिजली में
मैं काँप जाती
जब
बरसाती तुन्द हवाओं से
चराग़ बुझ कर
मुझे तन्हा
कर जाते
जब
सहर के वक्त
बिस्तर पर
न कोई सलवट होती
न
बिखरे गज़रे के फूल होते
जब
तारीकियों में
हर आहात खामोश हो जाती
बस
होती थी तो
जिस्म में
शेष बची साँसों की तरह
इक इक सांस पे
रुकी हुई बरसात की
टपकती हुई
इक इक बूँद की
टप टप की आवाज़
जो
मेरी हर कसमसाहट को
अंगारों की तड़प दे जाती
सच
तुम्हारी कसम
उस वक्त तुम
मेरे तसव्वुर की चौखट पर
बिना दस्तक आये थे
मैं
कुछ कह न सकी
बस
भीगती रही , भीगती रही
बरसती बारिश में
तुम्हारी आगोश के
इंतज़ार में
इक इक पल
भीगता रहा
उस वक़्त
हाँ
उस वक़्त
कसम से
तुम बहुत याद आये थे
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ.डॉ. गोपाल जी भाई साहिब आपके मुखारविंद से निकली इस काव्यात्मक प्रशंसा का हार्दिक आभार सर।
अब क्या मिसाल दूं मैं तुम्हारे शबाब की ----- सादर .
आदरणीय नरेंद्र सिंह जी सृजन को अपनी मधुर प्रतिक्रिया से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। कुछ अपरिहार्य कारणों से प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।
आदरणीय सोमेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया। कुछ अपरिहार्य कारणों से प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।
वाह, लाजवाब रचना
तुम्हारी कसम
उस वक्त तुम
मेरे तसव्वुर की चौखट पर
बिना दस्तक आये थे
मैं
कुछ कह न सकी
बस
भीगती रही , भीगती रही
बरसती बारिश में
तुम्हारी आगोश के
इंतज़ार में
इक इक पल
भीगता रहा
उस वक़्त
हाँ
उस वक़्त
कसम से
तुम बहुत याद आये थे
bhut ghre tk utrte hue ahssas
bhig gya mn aa gyi yaad
thanks for sharing such a deep meaningful creation !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online