प्रेम ...
अनुपम आभास की
अदृश्य शक्ति का
चिर जीवित
अहसास है
प्रेम
मौन बंधनों से
उन्मुक्त उन्माद की
अनबुझ प्यास है
प्रेम
संवादहीन शब्दों की
अव्यक्त अभिव्यक्ति
का असीमित
उल्लास है
प्रेम
निःशब्द शब्दों को
भावों की लहरों पर
मुखरित करने का
आधार है
प्रेम
अपूर्णता को
पूर्णता में परिवर्तित कर
अंतस को
मधु शृंगार से सृजित कर
प्रेमासक्ति की अभिव्यक्ति का
अनुपम उपहार है
प्रेम
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय narendrasinh chauhan साहिब सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।
बहोत भाव पूर्ण रचना
आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय विजय निकोर साहिब सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।
प्रेम के सूक्ष्म भावों को थाम कर बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने इस प्रस्तुति में आ० सुशील जी
बहुत बहुत बधाई
प्रेम सूक्षम है, और किसी भी सूक्षम को अनुभव कर सकते हैं, परन्तु उसे परिभाषित करना कठिन है। आपने इस कठिन कार्य को बहुत अच्छा निभाया है, आदरणीय सुशील जी।
आदरणीय मो.आरिफ साहिब सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।
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