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बंधन : लघुकथा: हरि प्रकाश दुबे

शानदार फूलों से सुसज्जित मंच पर धर्मगुरु विद्यमान ,साथ ही भजन कीर्तन करने वाली भाड़े पर रखी गयी  टीम ,सामने लम्बा पांडाल , अति विशिष्ट भक्तों के लिए आगे सुन्दर सोफों की कतार ,पीछे दरी पर हाथ जोड़ कर बैठे भक्तजन , जगह –जगह एलसीडी ,साउंड सिस्टम , अब प्रवचन शुरू ..........

 

” आप सब के दुखों का कारण ही यही है की आप लोग तमाम मोह ,माया के बंधन में फसें हुए हैं,किसी को परिवार की चिंता है ,कोई धन के पीछे भाग रहा है ,अरे कुत्ते की तरह जिंदगी बना ली है आप लोगों ने अपनी, अरे मैं तो कहता हूँ यह  संसार ही एक बंधन है  ।“

 

इतना सुनते ही एक नव दम्पति उठकर खड़े हो गए और बोले “ तब उपाय क्या है स्वामी जी !”

“अरे गुरु की शरण में आओ, ईश्वर को समर्पित हो जाओ !”

 

“ठीक है गुरूजी अपना सब धन दौलत आपको समर्पित कर देतें हैं, पर हमारे इस नन्हें बच्चे का भविष्य ..!”

“अरे उसकी चिंता मत करो अपना एक बहुत बढ़िया स्कूल है और आश्रम में तुम्हारी भी सब वयवस्था हो जाएगी!” .....इतना सुनते ही पांडाल ‘जय हो स्वामी जी’ की आवाज़ से गूँज उठा!

 

“पर स्वामी जी, अभी तो आपने कहा था की यह  संसार ही एक बंधन है , तो क्यों न हम सब इस संसार को ही त्याग दें ?”.....अब सन्नाटा छा गया और गुरूजी के चेहरे की लालिमा उनके क्रोध को स्पष्ट दर्शा रही थी !

नव दम्पति तुरंत उठकर बाहर चले गये ,बाहर खड़े पुलिस-कर्मियों ने उन्हें जबर्दस्त सलाम किया और एक अधिकारी बोला क्या आदेश है सर ?”

 

“अरे यह वही है ,कितने आरोप हैं इस पर ?”

 

“साहब ,हत्या ,बलात्कार ,धोखाधड़ी ..लिस्ट लम्बी है सर !”

 

“ठीक है , जब इसका नाटक खत्म हो जाए तो इसे बाँध कर लाना , मैं समझाता हूँ इसे बंधन...!”

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

© हरि प्रकाश दुबे

 

 

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Comment by Samar kabeer on July 18, 2017 at 3:12pm
जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,अच्छी सीख देती,बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on July 18, 2017 at 8:07am
आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन कथानक , बढ़िया चित्रण और अच्छा कटाक्ष । आजकल हमारे समाज में ढोंगी-पाखंडी बाबाओं की बाढ़-सी आई हुई है । गाजर घास और कुकुर मुत्तों की तरह पैदा हो गए हैं । भारतीय समाज को इनसे दो कौड़ी कि भी लाभ नहीं है । सबसे ज़ियादा धन-संपत्ति इन पाखंडियों के पास ही है । बहुत अच्छा कथानक चुना आपने । इससे समाज को सीख लेना चाहिए । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 17, 2017 at 1:50pm
अति सुंदर ...
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 17, 2017 at 12:18pm

बढ़िया विषय हुआ है कथा का | हार्दिक बधाई आदरणीय इस कथा के लिए |

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