“सुन कमला, सारा काम निपट गया या अभी भी कुछ बाकी है!”
नहीं ‘मेमसाहब’ सब काम पूरा कर दिया है, दाल और सब्जी भी बना के फ्रिज मैं रख दी है, आटा भी गूंथ दिया है, साहब आयेंगे तो आप बना कर दे दीजियेगा !
“अरे बस जरा सा ही काम तो बचा है, कमला,ऐसा कर रोटी भी बना कर हॉट केस मैं रख जा !”
“मेमसाहब मुझे देर हो रही है, घर पर बच्चे भूखे होंगे !”
अरे चल पगली १५ मिनट में मर थोड़ी ही जायेंगे, चल जल्दी से बना दे !
गरीबी चाहे जो न करवा दे, कमला ने बड़े अनमने ढंग से रोटी बना दी और चलने लगी, तभी ! अरे कमला शाम को टाइम पर आ जाना -‘मेमसाहब’ ने कहा !
शाम को कमला आयी और उसके साथ उसका पति भी चला आया, और आते ही बोला," ‘मेमसाहब’ कल से कमला आपके यहाँ काम करने नही आयेगी !”
इतना सुनते ही ‘मेमसाहब’ भड़क गयीं और बोलीं " क्यों तन्खाव्ह कम पड़ रही है क्या?”
नहीं-नहीं , हमारी अपनी कुछ समस्या है- कमला के पति ने कहा !
" क्या तकलीफ है ? कुछ पैसा वगेहरह चाहिये तो बताओ, बाद में इसकी पगार से काट लूंगी !”
नहीं ‘मेमसाहब’ अब आप तो दूसरी कामवाली ढूंढ लीजिये !”
"अरे भाई तकलीफ बताये बगैर मे तुम्हें काम नही छोड़ने दुंगी, बोल क्या तकलीफ है?”
कमला का पति बोला " आप जिस तरह अपने पति को डांटती फटकारती रहती हो , यह देख देखकर ये भी यह भी सब सीखने लग गई है , मेरे मे साहब जितनी सहनशक्ति नही है, जिससे इस बेचारी को रोज मार खानी पड़ती है, अब तो बच्चों पर भी इसका असर पड़ने लगा है, मुझे मेरे घर मे और अशांति नही चाहिए !”
मेमसाहब’ के मुहँ पर कोई कालिख पोत गया था !
"मौलिक व अप्रकाशित"
© हरि प्रकाश दुबे
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बेहतरीन संदेश प्रद रचना आदरणीय हरि प्रकाश जी। हार्दिक बधाई।
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