For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - रोशनी है अगर तेरे दिल में- ( गिरिराज भंडारी )

2122  1212   112/22

गर अँधेरा है तेरी महफिल में

हसरत ए रोशनी तो रख दिल में

खुद से बेहतर वो कैसे समझेगा ?

सारे झूठे हैं चश्म ए बातिल में

क़त्ल करने की ख़्वाहिशों के सिवा

और क्या ढूँढते हो क़ातिल में

 

बेबसी, दर्द और कुछ तड़पन

क्या ये काफी नहीं था बिस्मिल में ?

 

फ़िक्र क्या ? बाहरी जिया न मिले

रोशनी है अगर तेरे दिल में

 

कोई तो कोशिश ए नजात भी हो

अश्क़ बारी के सिवा मुश्किल में

 

साहिलों सा नही है साहिल अब

कोई तूफाँ छिपा है साहिल में

 

प्यार का क्या सबूत दूँ उनको

ज़ह’न के जो बसे हैं तिल तिल में

 

हर तगाफ़ुल मिला जो तुमसे मुझे

जुड़ गया ज़िन्दगी के हासिल में      

*************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1120

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 10, 2017 at 3:42pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बेहद खूबसूरत गजल के लिए बहुत बधाई । सादर  ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 10, 2017 at 3:20pm
आद0 गिरिराज भाई जी सादर अभिवादन, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कहीं आपने, कुछ अशआर तो सीधे दिल मे उतरते है। आपको अशेष बधाइयाँ निवेदित हैं। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 2:11pm

आदरनीय आशीष भाई , आपको ओबीओ मे देख कर सुखद अनुभूति हुई ... स्वागत है आपका । गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 2:09pm

आदरनीय अरुण भाई , आपको फिर से सक्रिय देख कर अच्छा लगा । ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 2:07pm

आदरणीय रवि भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 2:07pm

आ. मो. आरिफ भाई , गज़ल की सराहना के ल्लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Ashish shrivastava on August 10, 2017 at 2:01pm
आदरणीय गिरिराज जी , आदाब ।
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने । हमारी ओर से बहुत बहुत मुबारकबाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 10, 2017 at 1:20pm

आदरणीय गिरिराज जी, बेहद खूबसूरत गजल. बधाइयाँ. 

साहिलों सा नही है साहिल अब

कोई तूफाँ छिपा है साहिल में.........ख़ास दाद कबूल कीजिये.

Comment by Ravi Shukla on August 10, 2017 at 11:34am

आदरणीय गिरिराज भाई जी  बहुत बढि़या गजल कही आपने मुबारक बाद पेश है । सादर

Comment by Mohammed Arif on August 10, 2017 at 11:13am
आलरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service