For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रक्त संचार ( लघुकथा)

बुधिया को जब पता चला कि घनश्याम बाबू का एक्सीडेंट हो गया है और उनको खून कि सख्त जरुरत है , वह व्याकुल हो गया | घनश्याम बाबू से वैसे तो उसने कभी भी प्यार के दो बोल नहीं सुने थे , पर उनकी शक्शियत ने बुधिया को हमेशा आकर्षित किया था , उनके लिए उसके मन में आदर सत्कार था , गाँव के मुखिया घनश्याम बाबू ,एक कट्टर ब्राह्मण थे , इस ज़माने में भी वे जात पात को मानते थे , उनके घर वाले उनको बहुत समझाते ," समय बदल गया है , अपनी सोच बदलें |" इस पर वे अपने सर पर चुटिया को दिखाकर कहते ," समय बदल गया है तो क्या हुआ , ब्राह्मण होने के संस्कार भूल जाऊं ? भ्रष्ट हो चुके हो तुम सब , मुझे मेरे विचारों के साथ जीने दो |" सब चुप हो जाते |
घनश्याम बाबू के घर का नौकर बुधिया का खास मित्र था , वह सब बातें बुधिया को बता देता था , बुधिया कहता ," देखना एक दिन आएगा , यह बदलेंगे समय इनको सबक सिखाएगा | "
एक्सीडेंट में घनश्याम बाबू के पैर काटने की नौबत आ गयी थी, ट्रैन की पटरी पार करते वक़्त उनका पैर फंस गया था , तेजी से आती हुई ट्रैन ने उनके ऊपर से चली गयी थी , धड़ पटरी के किनारे था सो बच गया पर पैर नहीं बच पाए | रक्त बह चूका था, डॉक्टर ने जांच कर के यह घोषणा कर दी थी की इनको एक दो दिन में ही ऑपरेट करना होगा , और इनका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है , इस ग्रुप का ब्लड लाना ही होगा , घर वालों में से सिर्फ बड़े बेटे का ब्लड ग्रुप सेम था , पर डॉक्टर के हिसाब से करीब ४ यूनिट ब्लड की जरुरत थी , खूब खोजने पर ब्लड बैंक से दो यूनिट प्राप्त हुआ , अब भी एक यूनिट ब्लड चाहिए था , अब क्या होगा यही सोच कर उनके परिवार वाले परेशान हो रहे थे , अस्पताल में जब इस सब की चर्चा कर रहे थे तभी बुधिया वहां आया और उसने कहा , " बाबूजी को मैं खून दूंगा , मेरा भी ओ पॉजिटिव ग्रुप है | "
घनश्याम बाबू के बेटे ने पूछा , " तुझे कैसे पता ?"
वह बोला , " बाबू ,मैंने भी १२ तक की पढ़ाई की है | "
ऑपरेशन के बाद जब उनको होश आया , उनके पूछने पर उनको सब बताया गया | वहीँ उन्होंने एक नाई को बुलवाकर अपनी चुटिया कटवा ली |
अपने अंदर रक्त संचार होने वाले रक्त से अब उनको प्यार हो गया था |


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on August 16, 2017 at 9:45am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर नमन जी। आपका प्रयास अच्छा है। बधाई स्वीकार करे जी। बाकि आदरणीय रवि जीने कह ही दिया है ।सादर जी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 15, 2017 at 9:38pm

सादर धन्यवाद आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 15, 2017 at 9:36pm

आदाब आदरणीय समर भाई जी , जी भाई जी आदरणीय रवि सर जी ने जो बातें समझाई हैं उनको ध्यान में रखूंगी सादर |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 15, 2017 at 9:35pm

आदरणीय रवि सर आपने जो बातें बतायीं है उनपर ध्यान दूंगी | जी आपने सही कहा विषय पुराना है नवीनता नहीं है , पर ऐसा आज भी होता तो है न यही सोच कर प्रयास किया था , आपने जो दिशा दिखाई है उसको ध्यान में रखकर दुबारा प्रयास करुँगी | सादर धन्यवाद् सर भैया |

Comment by Mohammed Arif on August 15, 2017 at 8:18pm
आदरणीय कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुकथा का अच्छा प्रयास ।आदरणीय रवि प्रभाकर जी सबकुछ कह चुके हैं । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on August 15, 2017 at 6:40pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें,बाक़ी जनाब रवि प्रभाकर साहिब ने बता ही दिया है,उनकी बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Ravi Prabhakar on August 15, 2017 at 6:27pm

आदरणीय कल्‍पना भट्ट जी, वर्ण व्‍यवस्‍था पर चोट करती इस लघुकथा में नवीनता का अभाव है । लघुकथा की पहली पंक्‍ितयां पढ़कर ही आगे क्‍या होने वाला है उसका अंदाज़ा लग गया था । कथा साहित्‍य में कौतुहलता का होना अतिआवश्‍यक माना जाता है । लघुकथा में आपने बताया है कि बुधिया घनश्‍याम की शख्‍़सीयत से प्रभावित था पर साथ ही लिख दिया कि घनश्‍याम कट्टड़ ब्राह्म्‍ण थे और घनश्‍याम से उसने कभी प्‍यार के दो बोल नहीं सुने थे । और बुधिया दलित वर्ग से संबधित था इसका संकेत भी मिलता है तो.... बुूधिया के प्रभावित होने का कोई कारण तो समझ में नहीं आ रहा यानि यहां कथ्‍य और तथ्‍य में सामंजस्‍य नज़र नहीं आ रहा । चुटिया कटवाने वाले प्रसंग के स्‍थान पर कोई अन्‍य संकेत देना अधिक बढ़ीया रहता । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service