Comment
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सादर, वीर छंद पर आपका यह प्रयास बहुत उत्तम हुआ है. प्रथम प्रयास में ही आपने छह छंद रच दिए है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. //नही जमीर बिकाऊँ मेरा// इस चरण में गेयता के अतिरिक्त वर्तनी की अशुद्धियों पर अवश्य ध्यान दें.
शब्दो/शब्दों ,करू/करूँ,लू/लूँ........सादर.,
सुने नहीं उनकी चीत्कार|| मात्रा 15 होने पर भी रिदम बाधित करता है चीत्कार . ऐसे शब्दों से बचना चाहिए , आपका प्रथम प्रयास है तो आपने बहुत अच्छी रचना की है . आपको बधाई .
बहुत सुंदर सृजन , हार्दिक बधाई आदरणीय |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online