मापनी २२ २२ २२ २
इतनी ज्यादा बात न कर 
वादों की बरसात न कर
 
टूट न  जाए नाजुक दिल, 
उससे भीतरघात  न कर 
 
ख्यात न हो, कुछ बात नहीं, 
पर खुद को कुख्यात न कर
 
मानव तो बस मानव है,
ऊंची नीची  जात न कर 
 
खुलकर गले न मिल पाए,
पैदा  वो  हालात  न कर
पास बैठ  सुलझा  मुद्दे 
थप्पड़ घूँसा लात न कर 
 
भारत, भारत ही अच्छा,
संस्कृति काआयात न कर
"मौलिक एवं अप्रकाशित "
Comment
आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी , आपके उत्तम सुझाव का दिल से स्वागत है, सुधार कर देता हूँ.
आ. बसंत कुमार जी 
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई 
.
उससे भीतरघात  न कर...इससे  भीतरघात  न कर (दूर की चीज़ को उससे और क़रीब को इससे)
सादर 
aआदरणीय Samar kabeer जी आपका अतिशय आभार , यूँ ही मार्गदर्शन करते रहिये सादर
आदरणीय Mohammed Arif जी आपका तहे दिल से शुक्रिया इसे इस तरह किया है
संस्कृति का आयात न कर
आदरणीय Samar kabeer जी मेरी रचना की त्रुटि पर ध्यान आकर्षित करने के लिए आपका शुक्रिया , इसे ऐसे ख सकते हैं
संस्कृति को आयात न कर , शायद ठीक लगे.
आदरणीय Niraj Kumar जी आपका दिल से शुक्रिया
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