For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काफिया : आये ; रदीफ़ :न बने

बहर : ११२२-| ११२२  ११२२  २२/११२

      २१२२}

तंज़ सुनना तो’ विवशता है’, सुनाये न बने

दर्द दिल का न दिखे और दिखाए न बने | 

पाक से हम करे’ क्या बात बिना कुछ मतलब  

क्यों करे श्रम जहाँ’ की बात बनाए न बने |

क्या कहूँ उनके’ हुनर की, है’ अनोखा अनजान

यही’ तारीफ़ कि हमको न सताए न बने |

कर्म इंसान का’ हो ठीक सितारा जैसा

कर्म काला किया’ तो चेहरा’ दिखाए न बने |

हाथ की रेखा’ बताती है’ कि आगे क्या है

मर्द तक़दीर जो’ बिगड़े तो’ बनाए न बने |

प्रेम करने गया’ था पर बना’ बेचारा बैर

नफरतों की जो’ लगी आग बुझाए न बने  |

न हुई गंगा’ सफाई कई’ सालों के बाद

भक्त जाते हैं’ नहाने तो’ नहाए न बने |

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 23, 2017 at 9:59am

आ सलीम रज़ा रेवा जी, आ शिज्जू 'शकूर' जी और आ निलेश शेवगांवकर जी , ब्लॉग पर शिरकत करने और  सलाह देने के लिए आप तीनों को तहे दिल से शुक्रिया | आदाब 

Comment by SALIM RAZA REWA on September 21, 2017 at 11:50am
आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब अपनी बात कह चुके हैं

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2017 at 11:16am

आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब  अपनी बात कह चुके हैं

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 21, 2017 at 7:23am

आ. मण्डल जी,
प्रस्तुति के लिए   बधाई ...ग़ज़ल को और समय दीजिये..
समर सर सब कह ही चुके हैं.
सादर 

Comment by Samar kabeer on September 20, 2017 at 9:39pm
'तंज़ सुनना तो विवशता है, सुनाए न बने
दर्द दिल का न दिखे,और दिखाए न बने'
मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,सानी मिसरा यूँ होना चाहिए था:-
'दर्द जो दिल में छुपा है वो दिखाए न बने'

दूसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है,और आप जो बात कहना चाहते हैं वो स्पष्ट नहीं हो रही है

तीसरे शैर में व्याकरण दोष है,अल्फ़ाज़ की बंदिश सही नहीं है,आप जो बात कहना चाहते हैं वो भी स्पष्ट नहीं है ।

चौथे शैर में आप जो कहना चाहते है वो समझ में तो आ रहा है,लेकिन यहां भी व्याकरण दोष साफ़ नज़र आ रहा है,और बात की अदायगी के लिए अल्फ़ाज़ की बंदिश चुस्त नहीं है ।

पांचवें शैर में भी बात स्पष्ट नहीं हो रही है ।

छटे शैर में भी सानी मिसरे के साथ ऊला मिसरे का रब्त नहीं है ।

आख़री शैर बाक़ी अशआर से कुछ बहतर है ।

आपकी सबसे बड़ी कमज़ोरी भाषा है,जिस पर आपकी पकड़ नहीं है,मैंने आपको पहले भी मश्विरा दिया था कि आप अध्यन पर अपना ध्यान केंद्रित करें और पुराने और नए शायरों का कलाम ध्यान से पढ़ें,भाषा पर अपनी पकड़ मज़बूत करें,इसके बाद ही आपकी शाइरी पर निखार आएगा ।
बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by Sushil Sarna on September 20, 2017 at 7:55pm

आदरणीय कालीपद जी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 20, 2017 at 7:41pm

शुक्रिया  आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुश क्षत्रप'जी  , सादर 

Comment by Samar kabeer on September 20, 2017 at 7:40pm
थोड़ा व्यस्त हूँ अभी,जल्द ही आता हूँ ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 20, 2017 at 7:36pm

आदरणीय समर कबीर  साहिब , आदाब , आप विन्तुवत सलाह देते आये हैं मुझे और मैं उसी के मुताबिक सुधार करता आया हूँ | यहाँ किस विन्दु पर मुझे और समय देना  है , क्रपया इंगित करे | विषय इतना विस्तृत है कि हर बात दिमाग में रहती नहीं है | सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 20, 2017 at 7:30pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब ,आदाब , इन्तेजार यही है कि गुणी जन विन्दुवत सुधार के लिए सलाह दें तो कुछ सुधार कर सकूँ | आभारी रहूँगा  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service