For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212
कह रहे,घर को सजाया जा रहा
लग रहा सच को दबाया जा रहा।1

खून का धब्बा पड़ा गहरा बहुत
अब पसीने से मिटाया जा रहा।2

हो गयी पहली रपट रद्दी वहाँ
जाँच दल फिर से लगाया जा रहा।3

आदमी अब आदमी से तंग है
'नाम' ले-लेकर डराया जा रहा।4

मुजरिमों की हो गयी बल्ले यहाँ
बेगुनाहों को फँसाया जा रहा।5

मर्सिया माकूल होता ,क्या कहूँ?
गीत परिणय का सुनाया जा रहा।6

घिर गयी काली घटा, कहते सभी-
अब सबेरा को बुलाया जा रहा।7
@मौलिक व अप्रकाशित

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on September 26, 2017 at 10:33pm
आदरणीय गिरिराज भाई,आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Manan Kumar singh on September 26, 2017 at 10:31pm
आभारी हूँ भाई रामबली जी।
Comment by रामबली गुप्ता on September 26, 2017 at 9:41pm
भाई मनन सिंह जी ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है दिल से बधाई स्वीकारिये।
Comment by Manan Kumar singh on September 26, 2017 at 9:27pm
आभारी हूँ आदरणीय समर जी,नमन।उर्दू वाले शब्दों में कहीं कहीं बात फँसती है,परिमार्जन करता हूँ,शुक्रिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 26, 2017 at 9:16pm

आदरनीय मनन भाई , अच्छी गज़ल कही है दिल से बधाइयाँ प्रेषित हैं , स्वीकार कीजिये ।

Comment by Manan Kumar singh on September 26, 2017 at 9:10pm
आभारी हूँ आदरणीय महेंद्र जी।'सबेरा को बुलाया जा रहा', हो सकता है,'सबेरे' को नहीं।
Comment by Samar kabeer on September 26, 2017 at 3:00pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
6ठे शैर के ऊला में 'मर्सिया'शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा ।
Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 8:14pm

आ. मनन जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए.

क्या ये मिसरे ऐसे हो सकते हैं :

सच ये है, सच को दबाया जा रहा।1

अब सवेरे को बुलाया जा रहा।7

देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Manan Kumar singh on September 25, 2017 at 1:40pm
आभारी हूँ आदरणीय आरिफ भाई।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 1:21pm
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र बेहतरीन और वज़्नदार ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन आपनी अमूल्य राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service