For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -ये’ बातचीत में’ खरसान बैर बू क्या है?(संशोधित)

१२१२  ११२२  १२१२  २२

सटीक बात की’, आक्षेप बाँधनू क्या है

ये’ बातचीत में’ खरसान बैर बू क्या है?

नया ज़माना’ नया है तमाम पैराहन

अगर पहन लिया’ वो वस्त्र, फ़ालतू क्या है |

हसीन मानता’ हूँ मैं उसे, नहीं शोले

नजाकतें जहाँ’ है इश्क, तुन्दखू क्या है |

किया करार बहुत आम से चुनावों में

वजीर बनके’ कही रहबरी, कि तू क्या है ?

हो’ वुध्दिमान मिला राज, अब करो कुछ भी  

उलट पलट करो’ खुद आप, गुफ्तगू क्या है |

ये’ कर्ण फूल, गले हार, हाथ में कंगन  

पहन लिया सभी’ कुछ, और आरजू क्या है ?

जला जो’ आग से’ कश्मीर, भष्म में है क्या

वो’ खंडहर में’ बची लाश  जुस्तजू क्या है ?

सभी को’ है पता’ मंत्री बना अभी “काली”

नहीं तो’ देश में’ उसकी भी’ आबरू क्या है |

शब्दार्थ :-

बाँधनू – मन गढ़ंत , खरसान –तेज , बू –गंध

तुन्दखू-गुस्सैल;तेज मिज़ाज़, जुस्तजू –खोज, गवेषणा

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on October 15, 2017 at 11:07am
आ. काली प्रसाद जी,
आप की नई ग़ज़ल की खंड सही है. देखने में कोई त्रुटि होगी, सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2017 at 6:38pm

बहुत अच्छी कोशिश हुई है आदरणीय बहुत बहुत बधाई

इसे थोड़ा वक़्त और देंगे तो और अच्छी हो जायेगी 

वो’ खंडहर में’ बची लाश की’ जुस्तजू क्या है ?---इसकी बह्र भी ठीक करें ये मिसरा सुधार चाहता है 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 4:49pm

बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय | बधाई स्वीकारें |

Comment by Samar kabeer on October 10, 2017 at 7:06pm
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ालिब की ज़मीनों पर अच्छा अभ्यास हो रहा है,बधाई स्वीकार करें ।
ये ग़ज़ल पहले से कुछ बहतर नज़र आ रही है,और ये तब्दीली मुसलसल अभ्यास का नतीजा है,अभी आपको भाषा,शिल्प,व्याकरण वग़ैरह का अभी बहुत अभ्यास करना है,मुझे उम्मीद है आप इन चीज़ों पर भी जल्द क़ाबू पा लेंगे ।

'हो,बुद्धिमान मिला राज,अब करो जो चाह'
ये मिसरा लय में नहीं है,इसे यूँ किया जा सकता है :-
'हो बुद्धिमान मिला राज अब करो कुछ भी'

'वो खंडहर में बची लाश की जुस्तुजू क्या है
ये मिसरा लय में नहीं है,देखियेगा ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 10, 2017 at 9:09am

आदरणीय राज नवादवी ,आदाब, कुछ सीखने के लिए मैंने ग़ालिब की जमीन को चुना | कोशिश कर रहा हूँ विधा को समझने की |आदरणीय समर कबीर साहब मेहरबान हैं , मेरी गलती को सुधार देते है | आप सबका आभारी हूँ | विनम्र कोशिश पर हौसला अफजाई करते है | आशा है आगे भी करते रहेंगे | आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 10, 2017 at 8:50am

आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहिब ,आदाब , हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आपकी सलाह पर अमल करने की कोशिश करूंगा | आदाब 

Comment by राज़ नवादवी on October 9, 2017 at 7:39pm

वाह भाई वाह जनाब काली प्रसाद जी, आपने ग़ालिब की ज़मीन पर एक अत्यंत नये अंदाज़  में ग़ज़ल लिखकर सुखद रूप से विस्मित किया है. बधाई हो. ग़ज़ल के शिल्प एवं अन्य तकनीकी विषय पर सुधिजन आगे बतायेंगे. सादर 

Comment by Mohammed Arif on October 9, 2017 at 12:02pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब, एक अलग सी अंदाज़ की ग़ज़ल का आगाज़ किया आपने । काफिआ भी अलग अंदाज़ के । ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें ।
नोट:- कितना अच्छा हो अगर आप जैसे ग़ज़लगो साहित्य की अन्य विधा पर अपनी सृजनशीलता का परिचय देने वालों को भी अपनी टिप्पणियों से पोषित करें ताकि उनका उत्साहवर्धन हो सके ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service