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इन दिनों कविता को
थकान और कमज़ोरी है
रागात्मकता पर
हो रहे हैं
लगातार हमलें
काव्य-बोध न होने से
उसके पैर लड़खड़ा रहे हैं
भाव , कल्पना न होने से
कभी-कभी चक्कर खाकर
औंधे मुँह गिर जाती है
जिव्हा भी लड़खड़ा रही है
अभिव्यक्ति न होने से
उसे बार-बार चक्कर आते हैं
सौंदर्यबोध न होने से
अंदर ही अंदर जैसे
उसे घुन लग गई है
क्या कविता भी
डायबिटीक नहीं हो गई है ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on October 16, 2017 at 4:34pm
आदरणीय सौरभ पांडे जी यह तो मेरा कर्त्तव्य तो था संशोधन करने का । सादर ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2017 at 4:02pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मो० आरिफ जी
Comment by Afroz 'sahr' on October 16, 2017 at 3:41pm
जनाब आरिफ़ जी बहुत ही सुंदर कविता मेंरी और से बहुत बहुत बधाई आपको।
Comment by Mohammed Arif on October 16, 2017 at 10:28am
आदरणीय सौरभ पांडे जी आदाब, आपकी उत्साहजनक टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया । आपकी सलाह सर आँखों पर । संशोधन कर लिया है ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2017 at 7:09pm

क्या कविता
डायबिटीक हो गई है ? ..   

इसे कुछ यों कहा जाय तो रचना का प्रभाव संभवतः और सटीक पड़े .. 

क्या कविता भी
डायबिटीक नहीं हो गई है ? 

आपकी रचना गहरे एवं प्रासंगिक प्रश्नों के साथ सामने आयी है. हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय 

शुभेच्छाएँ 

Comment by Mohammed Arif on October 15, 2017 at 5:58pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब,कविता पर अपनी प्रतिक्रिया देकर सम्मानित करने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on October 15, 2017 at 5:49pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हक़ीक़त बयान करती बहुत उम्दा कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on October 14, 2017 at 9:59pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी कविता के मर्म को समझने और उस पर त्वरित प्रतिक्रिया देने बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on October 14, 2017 at 9:56pm
आदरणीय सलीम रज़ा साहब रचना पर प्रतिक्रिया देने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 14, 2017 at 9:37pm
जनाब आरिफ साहब,
बीमार कविता के लिए मुबारक़बाद.

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