मात-पिता पर स्वतंत्र दोहे :
मात-पिता का जो करें, सच्चे मन से मान।
उनके जीवन का करें , ईश सदा उत्थान !!1!!
जीवन में मिलती नहीं ,मात-पिता सी छाँव।
सुधा समझ पी लीजिये , धो कर उनके पाँव!!2!!
मात-पिता का प्यार तो,होता है अनमोल।
उनकी ममता का कभी, नहीं लगाना मोल !!3!!
बच्चों में बसते सदा, मात पिता के प्राण।
बिन उनके आशीष के, कभी न हो कल्याण!!4!!
सुशील सरना
Comment
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान देने एवं अनमोल सुझाव का दिल से आभार।
आदणीय अजय कुमार शर्मा जी सृजन के भावों को सहमति देती आपकी प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय राजेश कुमारी जी सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। इंगित टंकण त्रुटि को मैं अभी दुरुस्त कर प्रस्तुति को पुनः प्रेषित करता हूँ। इस हेतु आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सृजन की आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।
सही शिल्प सही शब्द उत्तम भाव ...बहुत बढिया दोहे लिखे हैं आदरणीय सरना जी हार्दिक बधाई
बस्ते को बसते कर लीजिये
आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब ..... प्रस्तुति की आत्मीय सराहना हेतु आपका दिल से शुक्रिया।
आदरणीय मोहित मिश्रा जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।
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