For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब एक सैनिक शहीद होता है
तो साथ में शहीद होती हैं
ढेर सारी उम्मीदें,
ताकत और भावनाएं,
मैं सैनिक नहीं 
न मेरा कोई पुत्र,
पर पूरी देशभक्ति
निभायी
अपनी चहारदीवारी
के भीतर
हाथ में धारित
मोबाईल पर चल रहे
सोशल मीडिया
में शहीद सैनिक
की फोटो पर
"जय हिंद"
लिख कर और
सो गया, तब
रात स्वप्न में
वह शहीद आया,
कहा- मैं अपनी
मिट्टी और आपकी
और सेवा करना
चाह रहा था,
पर कर न पाया,
इसलिए मैं
'क्षमाप्रार्थी हूँ',
यह सुनकर
मैं निःशब्द
हो गया,
आप बता सकते हैं!
कि मुझे
क्या कहना था!!!

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 6:45pm
Ati uttam sir
Comment by Manoj kumar shrivastava on December 17, 2017 at 5:40pm

आदरणीय बृजेश जी आपका कोटिशः आभार।

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 17, 2017 at 5:39pm

आदरणीय प्रसाद जी, उत्साहवर्धन हेतु कोटिशः आभार स्वीकारिये।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 16, 2017 at 8:54pm

सुन्दर भाव सम्प्रेषण...बधाई

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 16, 2017 at 11:27am

बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ मनोज कुमार जी 

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 14, 2017 at 8:29pm

आदरणीय दादा श्री समर कबीर जी, आपके स्नेह से मेरी ऊर्जा बढ़ती है, कोटिशः आभार स्वीकार करें। सादर

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 14, 2017 at 8:27pm

ऊर्जा बढ़ाने हेतु आपका हृदयतल से आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी, आपका स्नेह बना रहे।

Comment by Samar kabeer on December 14, 2017 at 5:34pm

जनाब मनोज कुमार जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 14, 2017 at 8:45am

आद0 मनोज कुमार जी सादर अभिवादन। बेहतरीन भाव सम्प्रेषण के साथसाथ लिखी गयी इस रचना पर मेरी कोटिश बधाइयाँ निवेदित हैं।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
50 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
13 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
14 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service