ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )
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(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन )
मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे |
निकल जाएगा दिल से डर धीरे धीरे |
मुहब्बत में अंजाम की फ़िक्र मत कर
करे है यह दिल पे असर धीरे धीरे |
अभी तुझको जी भर के देखा कहाँ है
निगाहों में आ के ठहर धीरे धीरे |
मिलेगा वफ़ा का सिला सब्र तो कर
वो लेते हैं दिल की ख़बर धीरे धीरे |
यही इंतहा है जुनूने वफ़ा की
लगे उनका घर अपना घर धीरे धीरे |
न सैयाद पर कर भरोसा तू बुलबुल
कतर देगा तेरे ये पर धीरे धीरे |
वो तस्दीक़ आए अज़ीज़ों को लेकर
जले है हमारा जिगर धीरे धीरे |
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल है, मुबारकबाद ।
जनाब सलीम रज़ा साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
जनाब सुशील सरना साहिब ,ग़ज़ल आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।
वाह वाह आदरणीय तस्दीक जी..सुन्दर मधुर ग़ज़ल..सादर
मुहतरम जनाब कालीपद साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।
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