For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभी दिल की गिरफ्तारी से बचिए

1222 1222 122
हरम में अब समझदारी से बचिए ।
हसीनों की नशातारी से बचिए ।।

अगर ख्वाहिश जरा सी है सुकूँ की ।
रकीबों की वफादारी से बचिए ।।

यहाँ दुश्मन से कब खतरा हुआ है ।
यहाँ अपनों की गद्दारी से बचिए ।।


नियत सबकी बड़ी खोटी दिखी है ।
नगर में आप मुख्तारी से बचिए ।।


रहेगी आपकी भी शान जिंदा ।
जरूरत है कि बेकारी से बचिए ।।


है करके कुछ दिखाने की तमन्ना ।
तो पहले अपनी खुद्दारी से बचिए ।।

तरक्की खुद चली आएगी इक दिन ।
मगर मजहब की बीमारी से बचिए ।।

वो अक्सर पीठ पर मारा है ख़ंजर ।
कभी दुश्मन की मक्कारी से बचिए ।।

हकीमों से अगर दौलत बचानी ।
मुहकमा गैर सरकारी से बचिए ।।

हजारों लोग फंदे फेकते हैं ।
नए चेहरों की इफ्तारी से बचिए ।।

बड़ी शातिर अदाएं ढूढ़तीं हैं ।
अभी दिल की गिरफ्तारी से बचिए ।।

   मौलिक अप्रकाशित 

नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 6:43pm

जनाब नवीन साहिब ,ग़ज़ल की अच्छी कोशिश हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं , जनाब अजय साहिब के मश्वरे पर गौर कीजियेगा ।

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 10:42am

अच्छी ग़ज़ल है आ. नवीन जी. आ. अजय जी की बातों से मैं भी सहमत हूँ. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 26, 2017 at 10:20pm

बहुत खूब । बधाई

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 26, 2017 at 6:29pm

आ0 अजय तिवारी जी विशेष आभार आपकी इस्लाह अत्यंत महत्वपूर्ण लगी । अभी अविलम्ब ठीक करता हूँ ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 26, 2017 at 6:27pm

आ0 कबीर सर सादर आभार के साथ नमन 

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 26, 2017 at 4:40pm

आ0 कबीर सर सादर आभार के साथ नमन 

Comment by Samar kabeer on December 26, 2017 at 2:27pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब अजय तिवारी जी की बातों का संज्ञान लें ।

Comment by Ajay Tiwari on December 26, 2017 at 1:56pm

आदरणीय नवीन जी, 

कुछ अशआर बहुत ही अच्छे हैं लेकिन कुछ अभी वक़्त मांग रहे हैं. मतले में मेरे ख्याल से 'नशातारी' के बजाय 'अदाकारी' ठीक रहेगा. 

नियत सबकी बड़ी खोटी दिखी है,'  शुद्ध शब्द 'नीयत' है. संस्कृत के 'नियत' का अर्थ दूसरा है. 

वो अक्सर पीठ पर मारा है ख़ंजर । > वो अक्सर पीठ में मारे है ख़ंजर > वो अक्सर पीठ में मारें हैं ख़ंजर
कभी दुश्मन की मक्कारी से बचिए । > जरा दुश्मन की मक्कारी से बचिए > मियां अपनों की मक्कारी से बचिए

हकीमों से अगर दौलत बचानी । >  हकीमों से है जो दौलत बचानी

छठे शेर को फिर से कहना बेहतर होगा. 

'है करके कुछ दिखाने की तमन्ना 
तो पहले अपनी खुद्दारी से बचिए'    बहुत खूब! 

हादिक बधाई. सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service