For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद को भी समझाना होगा (गीत)

नये वर्ष में लगता है अब
खुद को भी समझाना होगा

कर जय पराजय की समीक्षा
क्या कमीं क्या क्या प्रबल है
तूने जो खोया या पाया
तेरे कर्मों का ही फल है
पूर्व की उनसब गलतियों को
फिर से ना दुहराना होगा
खुद को भी समझाना होगा।

अपने मन की करता है बस
क्या तूने सोचा है क्षण भर
अनायास ही भाग रहा है
अब यहाँ वहाँ किस ओर किधर
पहले यह निश्चय करना है
तुमको जिस पथ जाना होगा
खुद को भी समझाना होगा।

कर्महीन बस कर मलता है
बिना किए क्या कुछ मिलता है
मंज़िल उनको ही मिलती जो
बिना डरे चलता रहता है
इक ऐसा उद्देश्य बनाओ
खुद को प्रबल बनाना होगा
खुद को भी समझाना होगा।

मौलिक/अप्रकाशित

राम शिरोमणि पाठक

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 3, 2018 at 10:35pm

सुन्दर गीत हुआ आदरणीय..सादर

Comment by ram shiromani pathak on January 3, 2018 at 3:52pm

सुरेंद्र जी उत्साह वर्धन हेतु बहुत आभार आपका

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 3, 2018 at 3:46pm

आ. भाई राम शिरोमणि जी, अच्छा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2018 at 2:09pm

आद राम शिरोमणि पाठक जी सादर अभिवादन। बेहतरीन सृजन। नव वर्ष की शुभकामनाओं संग बधाई कुबूल करें। सादर

Comment by ram shiromani pathak on January 1, 2018 at 8:19am

उस्मानी साहब बहुत बहुत आभार आपका।।सादर

Comment by ram shiromani pathak on January 1, 2018 at 8:18am

बहुत बहुत आभार आरिफ़ भाई उत्साह वर्धन हेतु।।सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 1, 2018 at 12:57am

 बहुत बढ़िया मंतव्य, संकल्प और अपेक्षायें शाब्दिक करती बढ़िया भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय राम शिरोमणि जी।

Comment by Mohammed Arif on December 31, 2017 at 7:46pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी आदाब,

                       आशा-अपेक्षा  का संचार करती बेहतरीन कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । नववर्ष की शुभकामनाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
2 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
12 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
19 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
31 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
35 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मेरी कोशिशें हैं इधर धीरे धीरे उधर हो रहा है असर धीरे धीरे। गए उनके दिल में उतर धीरे धीरे हुए वो…"
42 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय जयहिंद जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए , बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों  की बातें कबीले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service