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दोहे(प्रेम पियूष)22

प्रेम सुमन का है गहन ,हवा चल रही मंद।
मैं अलि सम पीता फिरूँ,मधुर-मधुर मकरंद।।

तुम बिन किससे हो प्रिये,अपने दिल की बात।
नहीं बीतता दिवस अब,नहीं बितती रात।।

अधरों पर फिर से खिली,मृदुल मौन मुस्कान।
सच कहता हूँ हे प्रिये,लोगी मेरी जान।

ढाई आखर प्रेम का,लिए हाथ में हाथ।
जीवन भर चलना प्रिये,हरदम मेरे साथ।।

खुद को मीरा कह रही,मुझको माखनचोर।
दिखता मैं उसको सदा,कण कण में चहु ओर।।

-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक/अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 19, 2016 at 9:08am

सुधीजनो ! 

नहीं बीतता दिवस अब,नहीं बितती रात  के प्रथम चरण का अन्त क्यों सही लगा कि किसी ने चर्चा नहीं की है ?

संदर्भ, दिवस का उच्चारण दि+वस होता है. 

तथा, चहु की जगह चहुँ होना चाहिए. 

बाकी दोहे अपने प्रवृतिगत भाव के समीचीन संप्रेषण के करण रुचिकर लगे हैं. हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ ..

शुभेच्छाएँ

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 18, 2016 at 11:41pm

आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी सादर, सुंदर दोहे रचे हैं आपने. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. बाकी आदरणीय लड़ीवाला जी ने कह ही दिया है. सादर.

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 15, 2016 at 7:43pm
आदरणीय श्री राम जी सुन्दर दोहा रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 5:18pm

बहूत सुन्दर दोहे ..बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on September 15, 2016 at 5:14pm
सुझाव व् अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय।।सादर
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 15, 2016 at 5:11pm

सुंदर दोहे रचे है | कुछ कमियाँ रह गई जैसे  - "नहीं बितती रात"

 

ढाई आखर प्रेम का,लिए हाथ में हाथ।
जीवन भर चलना प्रिये,हरदम मेरे साथ।। - इस दोहें को अगर इस पारकर कहे -

जीवन भर चलना प्रिये, लिए हाथ में हाथ

ढाई आखर प्रेम का, बोलों मेरे साथ  ।।

Comment by ram shiromani pathak on September 15, 2016 at 3:49pm
समर भाई आदाब।।आभारी हूँ आपका
Comment by ram shiromani pathak on September 15, 2016 at 3:48pm
आदरणीया मीना जी हार्दिक आभार ।।सादर
Comment by Samar kabeer on September 15, 2016 at 3:33pm
जनाब राम शिरोमणि पाठक जी आदाब,बहुत सुंदर दोहे रचे आपने दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Meena Pathak on September 15, 2016 at 3:32pm

बहूत सुन्दर दोहे ..बधाई 

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