For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदल रहा है बचपन(लघुकथा)

सड़क पर एक बच्चा हाथों में पत्थर लिए चल रहा था| मासूम हाथों में पत्थर देख एक राहगीर ने पूछा,' कहाँ जा रहे हो बेटा?" 
उस मासूम ने जवाब दिया,' उनको मारने?'
" किसको!" उस राहगीर ने आश्चर्यचकित हो पूछा|
' जिन्होंने हम पर हमला किया है|'
'किसने हमला किया है बच्चे?'
'उन लोगों ने|' 
'तुम आखिर क्या करोगे उनका?'
'मार दूंगा|'
'पर क्यों?'
'क्योंकि वे हमें मार रहे हैं|"
'तुम यहाँ क्यों आये हो?किसके साथ आये हो?'
'मैं यहाँ बापू के दर्शन करने आया हूँ,मेरे बाबा के साथ आया हूँ|'
'बापू को तुम जानते हो?'
'हाँ, बाबा ने बताया है वे अपने राष्ट्रपिता है|'
'क्या तुम्हें पता है वे अहिंसा के पुजारी थे|'
'अहिंसा!'
'हाँ, बेटा अहिंसा| क्या तुम्हारे बाबा ने नहीं बताया?'
'जी बताया तो था,मैंने अपनी इतिहास की किताब में पढ़ा भी था|'
'फिर भी तुम पत्थर लिए घूम रहे हो? मारने की बात कर रहे हो|'
'बाबा ने कहा है समय बदल रहा हैं|' 
और वह बच्चा वहां से चला गया| राहगीर के पीछे एक और व्यक्ति चल रहा था,जो अब तक चुप था,दोनों की बातें सुन रहा था, वह अनायास बोल पड़ा,'सही तो कह रहा है बच्चा,अब देखने वालों को भी देखना होगा कि बचपन भी बदल रहा है|'
बदलते समाज का बदलता बचपन अपने नन्हें हाथो में पत्थर लिए अहिंसा के पुजारी से मिलने जा चूका था|
मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on January 5, 2018 at 3:14pm

वक्त बदल रहा है,बचपन बदल रहा है,वरना पढने लिखने की उम्र में हाथ में पत्थर ना होते ।वर्तमान के हालात से रूबरू कराती कथा के लिये बधाई आद० कल्पना बहना ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 4, 2018 at 2:05pm

आद0 कल्पना भट्ट जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा का प्रयास आपका। मैं भी उस्मानी साहब से सहमत हूँ। इस प्रस्तुति पर आपको बधाई।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 4, 2018 at 9:37am

वाह। नये वर्ष की ज़ोरदार धमक बतौर तीखी लघुकथा। बापूजी को समकालीन बाप से जोड़ते हुए बहुत ही तीखा विचारोत्तेजक कटाक्ष। हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट जी। मेरे विचार से अंतिम पंक्ति की आवश्यकता नहीं है। कुछ वाक्यांशों का शिल्प निखारा जा सकता है। सादर। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service