For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल(रहे गर्दिश में जो हरदम)

जनाब साहिर लुधियानवी के मिसरे पर तरही ग़ज़ल।

1222 1222 1222 1222

रहे गर्दिश में जो हरदम, उन_अनजानों पे क्या गुजरी,
किसे मालूम ऐसे दफ़्न अरमानों पे क्या गुजरी।

कमर झुकती गयी वो बोझ को फिर भी रहें थामे,
न जाने आज की औलाद उन शानों पे क्या गुजरी।

अगर हो बात फ़ितरत की नहीं तुम जानवर से कम,
*जब_इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुजरी।*

मुहब्बत की शमअ पर मर मिटे जल जल पतंगे जो,
खबर किसको कि उन नाकाम परवानों पे क्या गुजरी।

'नमन' इतनी बढ़ी क्यों बेरुखी लोगों में अपनों से,
सभी को है यही अब फ़िक्र बेगानों पे क्या गुजरी।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 11, 2018 at 4:47pm

आ. भाई बासुदेव जी, सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 10, 2018 at 7:42pm

मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब ,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है ,बहुत मुश्किल ज़मीन है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। 

शेर1 मिसरों में रब्त की कमी ,यूँ करसकते हैं "रहें जो गर्दिशों में ऐसे अनजानों पे क्या गुज़री । "बताएं किस तरह उन दफ़्न अरमानों पे क्या गुज़री।

शेर2 मिसरों में रब्त नहीं ,यूँ सानी मिसरा करसकते हैं "।भला औलाद क्या जाने कि उन शानों पे क्या गुज़री।

शेर3 रब्त की कमी ,उला मिसरा यूँ करसकते हैं ।"बताता ही नहीं इंसानियत का फलसफा कोई " 

शेर4मिसरों में रब्त की कमी,उला बह्र में नहीं ,सानी में ऐब-तनाफुर (उन नाकाम) यूँ कर सकते हैं ।"पतंगे शम ए उल्फ़त पर जो जलकर मर मिटे यारो --खबर किस को भला नाकाम परवानों पे क्या गुज़री"।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 9, 2018 at 11:22am

आ0 सोमेश कुमारजी आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया का हृदय से आभार 

Comment by somesh kumar on February 8, 2018 at 10:02am

कमर झुकती गयी वो बोझ को फिर भी रहें थामे,
न जाने आज की औलाद उन शानों पे क्या गुजरी।

 बेहतरीन ,बधाई इस अच्छी और सच्ची गज़ल पर 

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 7, 2018 at 1:12pm

जनाब मोहम्मद आरिफ जी आपका हृदय से आभार।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 7, 2018 at 1:10pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी आपका बहुत बहुत आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on February 7, 2018 at 12:15pm
हार्दिक बधाई आदरणीय। लाज़वाब गज़ल।
Comment by Mohammed Arif on February 6, 2018 at 5:30pm

आदरणीय वासुदेव जी आदाब,

                           जनाब साहिर लुधियानवी साहब की ज़मी पर बहुत ही अच्छे अश'आरों से सुसज्जित ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन  अपनी राय देंगे ।

Comment by रक्षिता सिंह on February 6, 2018 at 5:11pm

आदरणीय नमन जी नमस्कार,

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ....

"मुहब्बत की शमअ पर मर मिटे जल जल पतंगे जो,

खबर किसको कि उन नाकाम परवानों पे क्या गुजरी"

हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service