For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी कसम.... 

हिज़्र की रातों में
तन्हा बरसातों में
खामोश बातों में
नशीली मुलाकातों में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम हो

चांदनी के शबाब में
पलकों के ख्वाब में
प्यालों की शराब में
अर्श के माहताब में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम हो

ख्यालों की बाहों में
बेकरार निगाहों में
गुलों की अदाओं में
आफ़ताबी शुआओं में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम हो

साँसों के ऐतबार में
आती हुई बहार में
मिलन के करार में
वस्ल के इंतज़ार में
तुम्हारी कसम
सिर्फ़
तुम ही तुम हो

(शुआओं= किरणें )

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 20, 2018 at 8:38pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सृजन के भावों को  मान देने का तहे दिल से शुक्रिया । निजी कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by Sushil Sarna on February 20, 2018 at 8:36pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan  जी सृजन के भावों को  मान देने का तहे दिल से शुक्रिया । निजी कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by Sushil Sarna on February 20, 2018 at 8:35pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया । निजी कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by Sushil Sarna on February 20, 2018 at 8:34pm

आदरणीय नादिर खान साहिब सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया । निजी कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by Sushil Sarna on February 20, 2018 at 8:33pm

आदरणीय रक्षिता सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया । निजी कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by Sushil Sarna on February 20, 2018 at 8:32pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब आदाब ... सृजन को इस दिलकश अंदाज़ से इज़्ज़त बख़्शने का दिल से शुक्रिया सर। निजी कारणों से आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 7:57pm

आ. भाई सुशील जी, बेहतरीन रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by narendrasinh chauhan on February 19, 2018 at 12:59pm

आदरणीय ,खूब सुन्दर रचना 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2018 at 10:50pm

वाह आदरणीय सुशील बहुतखूब लिखा..और आदरणीय आरिफ जी ने खूब लिखा..वाह

Comment by नादिर ख़ान on February 18, 2018 at 8:46pm

उम्दा  ख़याल  खूबसूरत नक्काशी .... बहुत बधाई आदरणीय सुशील सरना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
6 seconds ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
2 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
4 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
5 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
7 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
24 minutes ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
24 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय भाई लक्ष्मण जी  हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल का प्रयास अच्छा है। सुझाव से यह निखर गयी है। इसका संज्ञान…"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई गजेंद्र जी, हार्दिक आभार।"
44 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service