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तरही ग़ज़ल : कभी पगडंडियों से राजपथ के प्रश्न मत पूछो // -सौरभ

1222 1222 1222 1222

 
अभी इग्नोर कर दो, पर, ज़बानी याद आयेगी
अकेले में तुम्हें मेरी कहानी याद आयेगी
 
चढ़ा फागुन, खिली कलियाँ, नज़ारों का गुलाबीपन
कभी तो यार को ये बाग़बानी याद आयेगी
 
मसें फूटी अभी हैं, शोखियाँ, ज़ुल्फ़ें, निखरता रंग
इसे देखेंगे तो अपनी जवानी याद आएगी
 
मुबाइल नेट दफ़्तर के परे भी है कोई दुनिया
ठहर कर सोचिए, वो ज़िंदग़ानी याद आयेगी
 
कभी पगडंडियों से राजपथ के प्रश्न मत पूछो
सियासत की उसे हर बदग़ुमानी याद आयेगी
 
मुकाबिल हो अगर दुश्मन निहायत काँइयाँ फिर तो
बरत तुर्की-ब-तुर्की ताकि नानी याद आयेगी
 
बहुत संतोष औ’ आराम से है ज़िन्दग़ी कच की
मगर कैसे कहे, कब देवयानी याद आयेगी ?
 
सदा रौशन रहे पापा.. चिराग़ों की तरह ’सौरभ’
मगर माँ से सुनो तो धूपदानी याद आयेगी
****
सौरभ

(मौलिक और अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2018 at 3:08pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, आपका सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2018 at 2:59pm

आदरणीय हरष महाजन जी, आपने जिस उदारता से प्रस्तुति को सम्मान दिया है वह हमें भी अपनी रचना को लेकर आश्वस्ति हो रही है. 

आपका हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2018 at 2:57pm

आदरणीय शेख शहज़ाद भाई, आपके उत्साहवर्द्धन का मैं आभारी हूँ. 

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2018 at 2:56pm

आदरणीय राम अवध जी, किसी रचना पर एक शब्दीय टिप्पणी इस पटल की परिपाटी नहीं रही है. क्योंकि यह पटल आम सोशल-साइट जैसा पटल नहीं है. लेकिन, चूँकि, हम ही आजकल पटल की रोज़ाना की गतिविधियों पर अनवरत अनुपस्थित रह रहे हैं, हमें मालूम नहीं आजकल सदस्य क्या कुछ अपना चुके हैं. 

बहरहाल, आपकी टिप्पणी सुखकर है. प्रस्तुत हुई रचना पर आपकी उपस्थिति के लिए हृदयतल से धन्यवाद. 

सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on February 28, 2018 at 8:02pm
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर
Comment by Harash Mahajan on February 28, 2018 at 3:07pm

आदरणीय सौरभ जी आदाब ।

सर जवाब नहीं ।

सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 28, 2018 at 4:38am

वाह। // कभी पगडंडियों से राजपथ के प्रश्न मत पूछो , सियासत की उसे हर बदग़ुमानी याद आयेगी //...

बेहतरीन मक्ते के साथ हर शे'अर में एक गंभीर बात/यथार्थ/संदेश सम्प्रेषित करती बेहतरीन ग़़़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार मुहतरम जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 28, 2018 at 4:35am

लाज़बाब

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