For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली पर चन्द कुंडलियां

मधुशाला में भीड़ है , होली का उल्लास ।
बुझा रहे प्यासे सभी अपनी अपनी प्यास ।।
अपनी अपनी प्यास पड़े नाली नालों में ।
लगा रहे अब रंग वही सबके गालों में ।।
नशे बाज पर आप , लगा कर रखना ताला ।
कभी कभी विषपान कराती है मधुशाला ।।

सूखा सूखा चित्त है , उलझा उलझा केश ।
होली बैरन सी लगे कंत बसे परदेश ।।
कंत बसे परदेश बिरह की आग जलाये ।
यौवन पर ऋतुराज ,किन्तु यह रास न आये ।।
कोयलिया का गान लगे अब बान सरीखा ।
सावरिया के बिना लगे हर मौसम सूखा ।।

अंगड़ाई लेने लगा , यौवन पर मधुमास ।
धूम मचाये कामिनी,हिय तक हुआ उजास ।।
हिय तक हुआ उजास सजन का होश उड़ाती।
मादक अँखियाँ खूब पिया को भंग पिलाती।।
अद्भुद है संयोग, खेलने होरी आई ।
भीगा तन मन आज ,देख करके अंगड़ाई ।।

लहंगा चुनरी में दिखा , भौजी का श्रृंगार ।
नैनो से करने लगीं रंगों की बौछार ।।
रंगों की बौछार भिगाएं अन्तस् सारा ।
देवर है नादान अभी क्या करे कुंवारा ।।
कहें मणी कविराय रंग है काफी महंगा ।
कहीं पकौड़ा बेचूं तब ये भीगे लहंगा ।।

नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 5, 2018 at 5:50pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,

                                     होली की मस्ती , रंग -तरंग ,उमंग में डूबी बेहतरीन कुंडलियाँँ । हार्दिक बधाई और होली की शुभकामनाएँ ।

             नोट:- ओबीओ मंच पर आमद देने वाली अन्य विधाओं की रचनाओं को भी अपनी टिप्पणियों से पोषित करें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 1:50am

आ0 श्याम नरायन वर्मा जी सप्रेम आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 1:45am

आ0 शरद सिंह जी सप्रेम आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 1:44am

आ0 हर्ष महाजन साहब हार्दिक आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 1:43am
आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार ।
Comment by Samar kabeer on March 4, 2018 at 7:44pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,होली के मौक़े पर बढ़िया कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Harash Mahajan on March 4, 2018 at 1:10pm

"लहंगा चुनरी में दिखा , भौजी का श्रृंगार ।
नैनो से करने लगीं रंगों की बौछार ।।

....

-----"

वाह जनाब एक बेहतरीन कुण्डलिया कृति आदरणीय त्रिपाठी जी ....दिल से ढ़ेरों दाद-----वसूल पाइयेगा ।

सादर !

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on March 3, 2018 at 3:58pm

आदरणीय नवीन जी होली के रंगो ने तन को और आपकी रचना ने मन को तर कर दिया.. हार्दिक बधई स्वीकार हो 

Comment by Shyam Narain Verma on March 3, 2018 at 1:34pm
क्या बात है, बहुत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service