अहमियत
“सुनते हो !” रीमा ने सहमते हुए मोबाईल पर गेम खेल रहे प्रकाश को धीरे से छूकर कहा
“क्या यार ! तुम्हारे चक्कर में मेरा खिलाड़ी मारा गया -----बोलों क्या आफ़त आ गई |” प्रकाश ने झल्लाते हुए कहा
“मौसीं का फ़ोन आया था------नानी सीढ़ियों से गिर गईं हैं |” रीमा ने सहमते हुए कहा
“वेरी बैड ----ज़्यादा चोट तो नहीं आई ---“ प्रकाश ने बिना उसकी तरफ़ देखे गेम में लगे हुए ही कहा
“नहीं !” रीमा चुपचाप बगल में बैठ गई
"सबकी बैंड बजा रखी है मैंने ---मुझसे अच्छा कोई खेल सकता है |" प्रकाश बड़बड़ाता रहा रीमा चुप्प बैठी रही
“बेटा,बेटा जल्दी से गाड़ी निकाल ----“ प्रकाश की माँ ने हपड़बड़ाते हुए कमरे में प्रवेश किया
“क्या माँ ----आप भी!----इतना बढ़िया खेल रहा था ! –“
“वो तेरी नानी बाथरूम में फिसल गईं हैं ---तेरे मामा का फ़ोन आया था |”
“क्या ---कैसे !” प्रकाश फटाफट फ़ोन बिस्तर पर फैंक कमरे से बाहर भागा और रीमा बिस्तर पर पड़े फ़ोन को देखती रही |
सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )
Comment
अदरणीय सोमेश जी, सुंदर लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।
एक सुन्दर लघु कथा हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सोमेश जी ।
सादर ।
जनाब सोमेश जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
bhai g
lmbe smay se koi lghuktha nhi likhi aur is lghuktha ki prena bhi ek friend hai jis ki abhi shadi hui aur usne ye experience share kiya tha.life hai to kyi chize co incidence ho skti hai aur story me bhi aise co incidence ho skte hai
महत्त्वपूर्ण रिश्तों में भी अहमियत आधारित भेदभाव या उपेक्षा पर बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई आदरणीय सोमेश कुमार जी। लगभग ऐसी ही रचना काफी पहले कही पढ़ी थी सोशल मीडिया पर। क्या वह आपकी ही थी या यही थी।
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