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ज़िंदगी से दूर कब तक.....संतोष

अरकान:फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन

ज़िन्दगी से दूर कब तक जाओगे,
किस तरह सच्चाई को झुटलाओगे।।

सादगी इतनी मियाँ अच्छी नहीं,
ज़िन्दगी में रोज़ धोका खाओगे।।

तल्ख़ यादें दिल से मिटती ही नहीं,
ज़िन्दगी में चैन कैसे पाओगे।।

तुम ग़मों को मात देना सीख लो,
अश्क पीकर कब तलक ग़म खाओगे।। 

अपनी कमज़ोरी को ज़ाहिर मत करो,
वरना हर सौदे में घाटा खाओगे।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

#संतोष_खिरवड़कर

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Comment by santosh khirwadkar on March 13, 2018 at 9:36pm

धन्यवाद आदरणीय वर्मा जी ...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 13, 2018 at 7:36pm

आ. संतोष दादा 
अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दाद के साथ बधाई प्रेषित है ...
मुस्काओगे शायद ठीक प्रयोग नहीं है..सही शब्द मुस्कुराओगे होगा ..
सादर 

Comment by Harash Mahajan on March 13, 2018 at 2:51pm

बहुत ही उम्दा पेशकश संतोष जी । हर शेर वज़न के साथ । दिली दाद क़बूल कीजियेगा ।

सादर

Comment by Mohammed Arif on March 13, 2018 at 12:33pm

अपनी कमज़ोरी को ज़ाहिर मत करो,
वरना हर सौदे में घाटा खाओगे । वाह! वाह! बहुत ही अच्छी सीख देता शे'र ।

शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें आदरणीय संतोष खिरवड़कर जी । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

Comment by Shyam Narain Verma on March 13, 2018 at 10:03am
क्या बात है, बहुत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

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