यह वर्ष नया मंगलमय हो
कोंपल फूटी है तरुवर पर
नव पल्लव का निर्माण हुआ
टेसू की लाली उभरी है
पुलकित हर तन, हर प्राण हुआ
हर मन से बाहर हर भय हो
यह वर्ष नया मंगलमय हो।
गेंहूँ बाली पूरी होकर
अब लहर लहर लहराती है
सरसों पर पीला रंग चढ़ा
भवरों को यह ललचाती है
भँवरों के गीतों-सी लय हो
यह वर्ष नया मंगलमय हो।
जाड़े को विदा किया हमने
गर्मी को दिया बुलावा है
हर चीज नई-सी लगती है
जब साल नया यह आया है
स्वागत करना इसका तय हो
यह वर्ष नया मंगलमय हो
नवरात्र शुरू अब होते हैं
नव दुर्गा का सब ध्यान करें
भारत के घर-घर में सब यूँ
जननी का हाँ सम्मान करें
जननी जन्म भूमि की जय हो
यह वर्ष नया मंगलमय हो।
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रया
आदरणीय अग्रजश्री शेख़ शहज़ाद जी उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार नमन
आदरणीया प्रतिभा दीदी उत्साहवर्द्धन के लिए सादर आभार नमन
आदरणीय समरकबीर साहब सादर नमन,सादर हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए
आदरणीय मुहम्मद आरिफ जी,सादर वन्दन अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार
जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,नव वर्ष पर सुन्दर गीत लिखा है आपने ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।
फूटी नव कोंपल से जननी जन्मभूमि की जय तक शुभकामनाएं सम्प्रेषित करते बढ़िया गीत के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब। आप सभी को नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
नववर्ष के आगमन पर सुन्दर प्रवाहमय गीत ..हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर जी
जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,नववर्ष के आगमन पर अच्छा गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आपको नववर्ष की बधाई ।
आदरणीय सतविंद्र जी आदाब,
बहुत ही सुंदर गीत की रचना । नव वर्ष के आगमन का बेहतरीन और लाजवाब चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
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