तीसरे माले पर वो करवट बदलते हैं तो खटिया चर्र-चर्र बोलती है |अंगोछा उठाकर पहले पसीना पोंछते है फिर उस से हवा करने लगते हैं |
“साsला पंखा भी ---“ बड़बड़ा कर बैठ जाते हैं और एक साँस में बोतल का शेष पानी गटक जाते हैं
“अब क्या ? अभी तो पूरी रात है |”
भिनभिनाते मच्छर को तड़ाक से मसल देते हैं |
दूसरे माले का टी.वी. सुनाई देता है – “तू मेरा मैं तेरी जाने सारा हिंदुस्तान |”
“बुढ़िया को क्या पड़ी थी पहले जाने की ---“
गला फिर सूखने लगा तो जोर–जोर से खाँसना शुरू कर दिया |
फिर टी.वी. –“हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाभी खो जाए –“
वो उठकर एक बार बैठते हैं |घुटनों को सहलाते हैं |और फिर जोर से बोतल को नीचे की तरफ़ फैंक देते हैं |
“टूटा जो दिल किसी का ---“ शायद टी.वी. म्यूट हो जाता है |
“क्या हुआ ?” निचले माले के कमरे से बाहर निकल कर बेटा चिल्लाता है |
“कुछ नहीं |बोतल दीवार पर रख कर भूल गया था |बिल्ली ने गिरा दिया है |जरा पानी भर के देते जाओ |”
वो सहमे-सहमे से कमरे में आते हैं और आँखे बंद कर लेट जाते हैं |
सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )
Comment
1- कथानक और कथ्य बेहतरीन है।
2- तीसरे माले/ तीन माले वाले भवन को लेना आवश्यक नहीं है। संयुक्त परिवार के सामान्य आंगन व मंज़िलें वाले मकान की बात भी कर सकते हैं पाठकों तक तर्क संगत बात पहुंचाने के लिए। या रचना में स्पष्टता को बढ़ाया जा सकता है।
3- मोबाइल से हिंदी टाइपिंग के लिए प्ले स्टोर से " गूगल इंडी इनपुट" या " गूगल कीबोर्ड" के सुविधाजनक एप डाउनलोड कर टाइपिंग सीखी जा सकती है। अब तो बोलने मात्र से मोबाइल पर टाइपिंग हो जाती है एप के जरिज़। सोशल मीडिया पर दोस्तों की मदद से मोबाइल पर टाइपिंग सीखी जा सकती है।
4- बढ़िया रचना को बेहतरीन रूप दिया जा सकता है। इसे दो तीन तरह की शैली में लिख कर देखिएगा। हार्दिक बधाई।
आदरणीय सोमेश जी आदाब,
मैं ख़ुद भी स्मार्ट फोन का प्रयोग करता हूँ । ओबीओ के मंच पर मेरी सारी प्रतिक्रियाएँ मेरे स्मार्ट फोन से दी हुई होती है । मेरे पास कोई कम्प्यूटर नहीं है । अपने स्मार्ट फोन पर लगातार अभ्यास करें , घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है ।
bhai surender g
ye sikhane sikhane ka mnch hai.likhte smy rchna pr mera apna nazriya hoga aur pdhte smy use aap apni drishti se dekhenge.ho skta hai aap dwara ingit kmiya aur gltiyaa mujhe bhi shi lgen.islie behichak apni baat rkhen.
bhai g
hr wqt computer pr baithna muskil hota hai isli comment mobile se deta hun.mobile me hindi typing aasani se nhi hoti.koi tkniki viklp ho to btaae
आदरणीय सोमेश जी आदाब,
अच्छी लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।
नोट:- कृपया देवनागरी लिपि का प्रयोग करें ।
आद0 सोमेश जी सादर अभिवादन।बढिया खाका खीचा आपने, आप लिखते भी बढिया हैं। इसके आगे कुछ लिखूँगा तो आप तर्क दें देंगे, इसलिए बस इतना ही। बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई। सादर
कुछ उलझी सी कथा लगी, हर माले की आवाज़ कैसे पहचानी? पहले माले से .... दुसरे माले से इस तरह से कैसे जाना ? क्षमा सहित| सादर|
अच्छी लघुकथा हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
आपने शीर्षक ग़लत लिख दिया है,सही शब्द है "शुतरमुर्ग़"यानी ऊंट के जैसा मुर्ग़ ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online