" आप समस्त शहरवासियों से हाथ जोड़कर विनम्र अपील करता हूँ कि इस बार होने जा रहे 'स्वच्छता सर्वेक्षण ' में बढ़ चढ़कर भाग लें , अपना सकारात्मक फीडबेक देकर शहर को स्वच्छता की सूची में नंबर-वन बनाएँ ।यह शहर आपका है , इसे अपने घर की भाँति साफ-सुथरा और सुंदर बनाएँ। यह सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है । शहर का नाम पूरे देश में रोशन करें । अपने आसपास गंदगी को फटकने न दें , घरों से निकलने वाला गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में डालें । मुझे उम्मीद है इस बार हमारा शहर स्वच्छता में पूरे देश में नंबर-वन आएगा । शहर का महापौर होने के नाते मेरी समस्त शहरवासियों से यही अपील है । बहुत-बहुत आभार और हृदय से धन्यवाद !" उपस्थित जन समुदाय ने ज़ोरदार तालियाँ बजाई । कुछ देर बाद मंच पर चाय नाश्ते का जबर्दस्त दौर चला । चाय नाश्ते के बाद महापौर ने सबका आभार मान चमचमाती कार में रवाना हो गए । मंच से धीरे-धीरे सारे अतिथि चले गए । मंच से अगर अभी तक नहीं गईं थी तो वे थीं खाली बोतलें , गिलासें , प्लेट्स ,चम्मच , मिठाई और नमकीन के खाली पैकेट्स , पॉलिथीन बैग्स जो " स्वच्छता अभियान " को मुँह चिढ़ा रही थी । कुछ देर रूकने के बाद वे भी हवा के रूख के साथ इधर-उधर जाने लगी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित। ।
Comment
दिली आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी । लेखन सार्थक हो गया ।
बेहतरीन लघुकथा आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। हार्दिक बधाई।
हृदयतल से दिली आभार आदरणीय नीलेश जी । आजकल पूरे देश में बुनियादी मुद्दों से भटकाकर सिर्फ हाथ में झाड़ू थमा दी गई है ।
बहुत उम्दा लघुकथा हुई है भाई ..और सामयिक भी
ढकोसले के सिवा कुछ है ही नहीं कहीं
बधाई
आपकी अमूल्य और निरपेक्ष टिप्पणी ने इस लघुकथा पर सफलतम लघुकथा होने की सशक्त मोहर लगा दी। बहुत-बहुत आभार आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हमेशा की तरह एक अच्छी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
रचना के अनुमोदन , निरपेक्ष टिप्पणी से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।
्
चिर-परिचित व्यंग्यात्मक कथानक पर सर्वथा भिन्न शैली व शिल्प में बढ़िया कटाक्षपूर्ण तीखी लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।
आदरणीय सोमेश जी आदाब,
लघुकथा का विषय एक जैसा हो सकता है मैं बात से कतई इंकार नहीं करता हूँ बल्कि आपकी बात का समर्थक भी हूँ । प्रत्येक लघुकथाकार का नज़रिया अलग-अलग होता है । फिर उसका कथ्य , शिल्प ,कथानक और प्रस्तुतिकरण भी भिन्न होता है । साथ ही साथ उसकी अपनी भाषा-शैली भी मौलिक होती है । कुल मिलाकर वह आपके सामने नये प्रभावी कथानक के साथ एक पस्थित होता है । मेरी इस लघुकथा में अति यथार्थवाद आपको मिलेगा । एक बात और स्पष्ट कर दूँ कि यह मेरे श शहर में घटित हुई सत्य घटना पर आधारित है । मंच से महापौर महोदय के जाने के बाद यह सबकुछ हुआ । ऐसे दृश्य स्वच्छता को लेकर अक्सर देखे जाते हैं ।
लघुकथा को अपनी अमूल्य टिप्पणी से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार ।
लघुकथा अच्छी है पर शायद इसी प्रकार की लघुकथा पहले कभी पढ़ी थी |खैर ! समान विषय पर कई सारी रचनाएँ सम्भव हैं ,मुख्य वस्तु है रचना का संदेश और प्रस्तुतिकरण |स्वयम दिल्ली के रामलीला मैदान में मोदी जी के किसी भाषण के बाद ऐसे ही खबर आई थी |
पिछले वर्ष हम सभी विभागीय कर्मियों को एप्प द्वारा अपने प्रदेश का स्वच्छता सर्वे करने का आदेश जारी हुआ था |जबकि उससे पहले सफाई एप्प से शिकायतें दर्ज कराने और उसे प्रचारित करने की बात की गयी |हम अध्यापकों ने खुद कुछ शिकायतें डाली और बदले में अधूरे कामों पर कार्य पूर्ण होने का जवाब मिला |
वस्तुतः बदलाव अपील से नहीं होता यह आत्मानुभूति एवं पहल की वस्तु है |
कहानी एक कटाक्ष है और लघुकथा के रूप में सफल प्रतीत होती है |
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