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" आप समस्त शहरवासियों से हाथ जोड़कर विनम्र अपील करता हूँ कि इस बार होने जा रहे 'स्वच्छता सर्वेक्षण ' में बढ़ चढ़कर भाग लें , अपना सकारात्मक फीडबेक देकर शहर को स्वच्छता की सूची में नंबर-वन बनाएँ ।यह शहर आपका है , इसे अपने घर की भाँति साफ-सुथरा और सुंदर बनाएँ। यह सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है । शहर का नाम पूरे देश में रोशन करें । अपने आसपास गंदगी को फटकने न दें , घरों से निकलने वाला गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में डालें । मुझे उम्मीद है इस बार हमारा शहर स्वच्छता में पूरे देश में नंबर-वन आएगा । शहर का महापौर होने के नाते मेरी समस्त शहरवासियों से यही अपील है । बहुत-बहुत आभार और हृदय से धन्यवाद !" उपस्थित जन समुदाय ने ज़ोरदार तालियाँ बजाई । कुछ देर बाद मंच पर चाय नाश्ते का जबर्दस्त दौर चला । चाय नाश्ते के बाद महापौर ने सबका आभार मान चमचमाती कार में रवाना हो गए । मंच से धीरे-धीरे सारे अतिथि चले गए । मंच से अगर अभी तक नहीं गईं थी तो वे थीं खाली बोतलें , गिलासें , प्लेट्स ,चम्मच , मिठाई और नमकीन के खाली पैकेट्स , पॉलिथीन बैग्स जो " स्वच्छता अभियान " को मुँह चिढ़ा रही थी । कुछ देर रूकने के बाद वे भी हवा के रूख के साथ इधर-उधर जाने लगी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित। ।

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Comment by Mohammed Arif on March 26, 2018 at 8:44pm

दिली आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 26, 2018 at 8:08pm

बेहतरीन लघुकथा आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on March 26, 2018 at 1:11pm

हृदयतल से दिली आभार आदरणीय नीलेश जी । आजकल पूरे देश में बुनियादी मुद्दों से भटकाकर सिर्फ हाथ में झाड़ू थमा दी गई है ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 1:03pm

बहुत उम्दा लघुकथा हुई है भाई ..और सामयिक भी 
ढकोसले    के सिवा कुछ है ही नहीं कहीं 
बधाई 

Comment by Mohammed Arif on March 26, 2018 at 1:01pm

आपकी अमूल्य और निरपेक्ष टिप्पणी ने इस लघुकथा पर सफलतम लघुकथा होने की सशक्त मोहर लगा दी। बहुत-बहुत आभार आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by Samar kabeer on March 26, 2018 at 12:23pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हमेशा की तरह एक अच्छी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on March 26, 2018 at 7:57am

रचना के अनुमोदन , निरपेक्ष टिप्पणी से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 25, 2018 at 8:00pm

चिर-परिचित व्यंग्यात्मक कथानक पर सर्वथा भिन्न शैली व शिल्प में बढ़िया कटाक्षपूर्ण तीखी लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।

Comment by Mohammed Arif on March 25, 2018 at 4:31pm

आदरणीय सोमेश जी आदाब,

                       लघुकथा का विषय एक जैसा हो सकता है मैं बात से कतई इंकार नहीं करता हूँ बल्कि आपकी बात का समर्थक भी हूँ । प्रत्येक लघुकथाकार का नज़रिया अलग-अलग होता है । फिर उसका कथ्य , शिल्प ,कथानक और प्रस्तुतिकरण भी भिन्न होता है । साथ ही साथ उसकी अपनी भाषा-शैली भी मौलिक होती है । कुल मिलाकर वह आपके सामने नये प्रभावी कथानक के साथ एक पस्थित होता है । मेरी इस लघुकथा में अति यथार्थवाद आपको मिलेगा । एक बात और स्पष्ट कर दूँ कि यह मेरे श शहर में घटित हुई सत्य घटना पर आधारित है । मंच से महापौर महोदय के जाने के बाद यह सबकुछ हुआ । ऐसे दृश्य स्वच्छता को लेकर अक्सर देखे जाते हैं ।

                                 लघुकथा को अपनी अमूल्य टिप्पणी से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार ।

Comment by somesh kumar on March 25, 2018 at 3:01pm

लघुकथा अच्छी है पर शायद इसी प्रकार की लघुकथा पहले कभी पढ़ी थी |खैर ! समान विषय पर कई सारी रचनाएँ सम्भव हैं ,मुख्य वस्तु है रचना का संदेश और प्रस्तुतिकरण |स्वयम दिल्ली के रामलीला मैदान  में मोदी जी के किसी भाषण के बाद ऐसे ही खबर आई थी |

पिछले वर्ष हम सभी विभागीय कर्मियों को एप्प द्वारा अपने प्रदेश का स्वच्छता सर्वे करने का आदेश जारी हुआ था |जबकि उससे पहले सफाई एप्प से शिकायतें दर्ज कराने और उसे प्रचारित करने की बात की गयी |हम अध्यापकों ने खुद कुछ शिकायतें डाली और बदले में अधूरे कामों पर कार्य पूर्ण होने का जवाब मिला |

वस्तुतः बदलाव अपील से नहीं होता यह आत्मानुभूति एवं पहल की वस्तु है |

कहानी एक कटाक्ष है और लघुकथा के रूप में सफल प्रतीत होती है |

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