121 22 121 22 121 22 121 22
 कभी जरा सा मैं मुस्कुरा लूँ कभी तो दिल को करार आये
 कभी तो भूले से इस चमन में उतर के फ़स्ल-ए-बहार आये
कि इससे पहले ये साँस टूटे सफ़ीना डूबे ये ज़िन्दगी का 
 चले भी आओ सनम कहीं से कहाँ कहाँ हम पुकार आये
बड़ी अदा से नजर झुकाये वो पूछते हैं कहाँ थे अब तक 
 सुनाये कैसे वो आपबीती वो ज़िन्दगी जो गुजार आये
हजार लम्हे हजार बातें जिन्हें तड़पता ही छोड़ आया 
 वो शाम वो गेसुओं के साये वो याद फिर बेशुमार आये
समझ न आये विदाई की भी ये रीत कैसी है प्यारे बाबुल 
 अभी घड़ी खेलने की आई उठाये डोली कहार आये
अभी समेटे थे हौंसले 'ब्रज' तभी ये वैरन थकान आई 
हमारे जीवन में ऐसे लम्हे न जाने क्यों बार बार आये
 (मौलिक एवं अप्रकाशित)
 बृजेश कुमार 'ब्रज'
Comment
रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीय डा. साहब..
आदरणीय भाई ब्रिजेश जी ग़ज़ल पढ़कर आनंद आया ..एक शेर पर थोड़ी उलझन हुयी थी लेकिन आदरणीय समर सर की प्रतिक्रिया से शंका का निवारण हो गया ..बहुत बहुत बधाई आपको सादर
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय त्रिपाठी जी..
साहब शेर दर शेर उम्दा ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई आपको ।कबीर सर की इस्लाह काबिल ए गौर है ।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेन्द्र जी..सादर
वाह बहुत अच्छी चर्चा।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महाजन जी..सादर
आदरणीय समर जी आज आपकी टिप्पड़ी ने मुझे प्रसन्नता से भर दिया..ह्रदय में संजो के रखूँगा आपके शब्दों को..और निश्चय ही मैं आपके बताये अनुसार सुधार करूँगा..स्नेह बनाये रखें..सादर
सादर ।
जनाब बृजेश जी ,फ़िल्मी गीतों की मिसालें मेरी नज़र में मान्य नहीं हैं,रेख़्ता पर जो ग़ज़लें आपने पढ़ी हैं वो सब या तो सही शब्द जानते नहीं या अपनी आसानी के लिए जान बूझ कर ये ग़लती कर गए,एक अच्छे और समझदार शाइर को सही शब्दों का ही इस्तेमाल करना चाहिए,प्रचलन कहकर कई लोग इस तरह की ग़लतियाँ करते हैं,लेकिन आप मेरी नज़र में ऐसे फ़नकार हैं जो ख़ूब से ख़ूब तर की तरफ़ गामज़न है, आप अपनी ग़ज़लों में सही शब्दों का ही इस्तेमाल करें ,सही शब्द "उम्र" है और आप चाहें तो इस मिसरे को इस तरह लिख सकते हैं :-
'अभी तो थी उम्र खेलने की...'
आपके विकल्प खुले हैं ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
    
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online