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हो सके तो वन बचा लो  -नवगीत

हो सके तो वन बचा लो  

 

दे रहे जीवन सभी को,

खेत, वन, उपवन सजा लो.

हैं जरूरी जिन्दगी को,

हो सके तो वन बचा लो.  

 

हो चुके हैं, मत करो इन,

पर्वतों को और नंगा.

ध्यान रखना है हमें अब, 

और मैली हो न गंगा,

 

धो चुके तन किन्तु मन का,

कलुष तो उसमें न डालो. ......हो सके तो वन बचा लो.

 

बात पानी की करें क्या,

रेत भी लूटी नदी की.

मीन अब इतिहास बनती,

दिख रही है नव सदी की.

 

मृत न झरने हों कहीं पर,

जो बचा है जल सँभालो.......हो सके तो वन बचा लो.

 

वृक्ष कोई भी प्रगति की,

राह का काँटा नहीं है.

सत्य यह है, दुख किसी ने,

पेड़ का बाँटा नहीं है.

 

बात तब है, पेड़ कोई,

एक काटो सौ लगा लो.......हो सके तो वन बचा लो.

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर 

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:55pm

ह्रदय से आभार आदरणीय Harash Mahajan  जी आपका , अभी ठीक करता हूँ गीत को 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:54pm

आदरणीय  Sheikh Shahzad Usmani जी आपका दिल से शुक्रिया हौसलाफजाई के लिए

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:53pm

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपका ह्रदय से आभार, आपके सुझाव  अनुकरणीय होते हैं ठीक करता हूँ , रचना को संबल मिला 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:50pm

 आदरणीय Mohammed Arif जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Harash Mahajan on April 8, 2018 at 11:55am

बहुत ही बढ़िया आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी ।

सुंदर सृजन ।

आदरणीय नीलेश जी सही कहा है सर ।

सादर ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2018 at 11:39am

पर्यावरण दिवस के पूर्व माह और ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी बेहतरीन  प्रेरक रचना। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 8, 2018 at 10:50am

आ. बसंत जी,
समसामयिक चिन्तन को उकेरता उत्तम नवगीत प्रस्तुत किया है  आपने 
बहुत बहुत बधाई ..
यदि अंतरे के बाद मुखड़े की अंतिम तुकांत पंक्ति और ऐड करेंगे तो पढने में अधिक रस आएगा..
सादर 

Comment by Mohammed Arif on April 8, 2018 at 7:39am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,

                                              पर्यावरणीय संचेतना को समर्पित बेहतरीन गीत की पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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