For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

222222 2

नाम बड़ा है उस घर का
पहरा जिस पर है डर का

प्यास बुझाना प्यासे की
कब है काम समंदर का

बिना बात बजते बर्तन
दृश्य यही अब घर-घर का

बोल कहे और जय चाहे
क्या है काम सुख़नवर का?

महल दुमहले जिसके हैं
वही भिखारी दर-दर का।

'राणा' सच कहते रहना
रंग न छूूटे तेवर का।

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2018 at 9:34am

आ. भाई सतविंद्र जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 27, 2018 at 4:13pm

वाह वाह राणा साहब खूब ग़ज़ल कही..सादर

Comment by Samar kabeer on April 27, 2018 at 11:51am

मतले का सानी मिसरा यूँ कर लें :-

'पहरा जिसपर है डर का'

Comment by Samar kabeer on April 25, 2018 at 10:33pm

आप मतले में क्या कहना चाहते हैं?भाव बताइये,मिसरा में बता दूँगा ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 25, 2018 at 9:49pm

आदरणीय समर कबीर जी ,सादर नमन! मतले के सानी के लिए भी मागर्गदर्शन की दरकार है। सादर निवेदन!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 25, 2018 at 9:46pm

आदरणीय तेजवीर जी,उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार नमन!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 25, 2018 at 9:43pm

आदरणीय श्याम नारायण जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार नमन!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 25, 2018 at 9:42pm

आदरणीय मुहम्मद आरिफ जी,सादर नमन ! हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर हार्दिक आभार

Comment by Samar kabeer on April 24, 2018 at 2:16pm

जनाब सतविन्द्र कुमार 'राणा' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले का सानी मिसरा लय में नहीं है,देखियेगा ।

तीसरा शैर यूँ कर लें तो उचित होगा: 

'बिन कारण बजते बर्तन

हाल यही है घर घर का'

Comment by TEJ VEER SINGH on April 23, 2018 at 2:04pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सतबिंदर जी।बेहतरीन गज़ल।

'राणा' सच कहते रहना
रंग न छूूटे तेवर का।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service