For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विवाह में शामिल होने आए दोस्त , रिश्तेदार क़रीबी और परिवार के सदस्य सभी यह जानने के बड़े उत्सुक थे कि आख़िर राहुल मंच से ऐसी क्या घोषणा करेगा जिससे उसकी शादी हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बन जाएगी । प्रीतिभोज से निवृत्त होकर सभी मेहमान मंच के सामने एकत्रित हो गए । राहुल अपनी जीवन संगिनी वर्षा का हाथ थामे मंच पर उपस्थित हुआ । हाथ जोड़कर दोनों ने सबका अभिवादन किया और कहा-" साथियों , आप सभी का आभारी हूँ कि आपने अपनी गरिमामयी उपस्थित देकर मेरा मान बढ़ाया । ज़्यादा कुछ नहीं कहूँगा । आज के इस विवाह आयोजन को यादगार बनाना चाहता हूँ । कईं दिनों से सोच रहा था कि मैं अपनी शादी को यादगार बनाऊँ , मगर कैसे ? कुछ सूझ ही नहीं रहा था । अंत में एक निर्णय पर पहुँचा जिसे आप सभी पसंद करेंगे ।" इतना कहने के बाद राहुल मुस्कान को मंच पर लेकर आया और कहने लगा-" इसका नाम मुस्कान है , इसे सुनाई नहीं देता है । इसका कॉकलियर इम्प्लाण्ट किया जाना है । सात लाख का खर्चा आएगा । माता-पिता ग़रीब है , घर की हालत ठीक नहीं है । ऑपरेशन का बीड़ा मैंने उठाया है । आज के शगुन से जितनी भी राशि मुझे प्राप्त हुई है वह सब मैं इसके ऑपरेशन में दान देता हूँ और जो भी शेष राशि लगेगी अपनी तरफ से दूँगा । मेरा सारा शगुन मुस्कान के नाम ।" पूरा पाण्डाल ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट से गुँजायमान हो रहा तो कईयों की आँखों में आँसू थे ।
मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 6, 2018 at 4:42pm

बहुत अच्छी कथा । हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by vijay nikore on May 5, 2018 at 6:16am

इतनी संदेशपूर्ण लघु कथा मन को छू गई। आपकी सोच को दाद देता हूँ, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on May 3, 2018 at 11:31am

हार्दिक आभार आदरणीय नीलेश जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 3, 2018 at 10:59am

उम्दा सन्देश देती लघुकथा हुई है आ. मोहम्मद आरिफ़ साहब..
बहुत बहुत बधाई 

Comment by Mohammed Arif on May 1, 2018 at 7:17pm

दिली शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by Samar kabeer on May 1, 2018 at 6:13pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हमेशा की तरह उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on May 1, 2018 at 5:34pm

लघुकथा के मर्म को समझने और उस पर सकारात्मक टिप्पणी देने का हार्दिक आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।

Comment by Neelam Upadhyaya on May 1, 2018 at 3:37pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, नमस्कार।  इस प्रेरणाप्रद कहानी के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on May 1, 2018 at 2:10pm

लघुकथा को अपनी पहली और उत्सासवर्धक टिप्पणी से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीया बबीता गुप्ता जी ।

Comment by babitagupta on May 1, 2018 at 1:51pm

सरजी,शगुन लघु  कथा द्वारा सामजिक उत्थान की दिशा में उठाया गया एक प्रेरक कदम ,जो समाज को आयोजनों में किये खर्चों का सही दिशा में व्यय करने का संदेश प्रेषित करता हैं.आभार. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service