विवाह में शामिल होने आए दोस्त , रिश्तेदार क़रीबी और परिवार के सदस्य सभी यह जानने के बड़े उत्सुक थे कि आख़िर राहुल मंच से ऐसी क्या घोषणा करेगा जिससे उसकी शादी हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बन जाएगी । प्रीतिभोज से निवृत्त होकर सभी मेहमान मंच के सामने एकत्रित हो गए । राहुल अपनी जीवन संगिनी वर्षा का हाथ थामे मंच पर उपस्थित हुआ । हाथ जोड़कर दोनों ने सबका अभिवादन किया और कहा-" साथियों , आप सभी का आभारी हूँ कि आपने अपनी गरिमामयी उपस्थित देकर मेरा मान बढ़ाया । ज़्यादा कुछ नहीं कहूँगा । आज के इस विवाह आयोजन को यादगार बनाना चाहता हूँ । कईं दिनों से सोच रहा था कि मैं अपनी शादी को यादगार बनाऊँ , मगर कैसे ? कुछ सूझ ही नहीं रहा था । अंत में एक निर्णय पर पहुँचा जिसे आप सभी पसंद करेंगे ।" इतना कहने के बाद राहुल मुस्कान को मंच पर लेकर आया और कहने लगा-" इसका नाम मुस्कान है , इसे सुनाई नहीं देता है । इसका कॉकलियर इम्प्लाण्ट किया जाना है । सात लाख का खर्चा आएगा । माता-पिता ग़रीब है , घर की हालत ठीक नहीं है । ऑपरेशन का बीड़ा मैंने उठाया है । आज के शगुन से जितनी भी राशि मुझे प्राप्त हुई है वह सब मैं इसके ऑपरेशन में दान देता हूँ और जो भी शेष राशि लगेगी अपनी तरफ से दूँगा । मेरा सारा शगुन मुस्कान के नाम ।" पूरा पाण्डाल ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट से गुँजायमान हो रहा तो कईयों की आँखों में आँसू थे ।
मौलिक एवं अप्रकाशित।
Comment
बहुत अच्छी कथा । हार्दिक बधाई आपको ।
इतनी संदेशपूर्ण लघु कथा मन को छू गई। आपकी सोच को दाद देता हूँ, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।
हार्दिक आभार आदरणीय नीलेश जी । लेखन सार्थक हो गया ।
उम्दा सन्देश देती लघुकथा हुई है आ. मोहम्मद आरिफ़ साहब..
बहुत बहुत बधाई
दिली शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हमेशा की तरह उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
लघुकथा के मर्म को समझने और उस पर सकारात्मक टिप्पणी देने का हार्दिक आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, नमस्कार। इस प्रेरणाप्रद कहानी के लिए हार्दिक बधाई।
लघुकथा को अपनी पहली और उत्सासवर्धक टिप्पणी से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीया बबीता गुप्ता जी ।
सरजी,शगुन लघु कथा द्वारा सामजिक उत्थान की दिशा में उठाया गया एक प्रेरक कदम ,जो समाज को आयोजनों में किये खर्चों का सही दिशा में व्यय करने का संदेश प्रेषित करता हैं.आभार.
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