कुछ क्षणिकाएं :
1
शुष्क काष्ठ
अग्नि से नेह
असंगत आलिंगन
परिणति
मूक अवशेष
................
2
त्वचा हीन
नग्न वृक्ष
अवसन्न खड़े
अकाल अंत की
आहटों के मध्य
.............................
3
ईश्वर
किसी देवता का
सर्जन नहीं
गढ़त है वो
इंसान की
..........................
4
करता रहा
प्रतीक्षा
एक शंख
नाद के लिए
चिर निद्रा में सोये
मरघट में
अपने स्वामी के
श्वास की
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुशील सरना जी , बेहतरीन क्षणिकाएं रची हैं ।
बढ़िया क्षणिकाएँ हैं आदरणीय सुशील सरना जी। हार्दिक बधाई स्वीकर कीजिए। सादर।
आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी प्रस्तुति। बधाई ।
खुब सुन्दर
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