(1) ख़त्म तपन
हरा हुआ चमन
मचले मन ।
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(2) भीगी है रात
बादलों की बारात
हो मुलाक़ात ।
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(3) खेत-मैदान
हरियाली मचले
जीवन चले ।
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(4) कहीं बरसे
मन मौजी बादल
धरा को बल ।
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(5) नदियों में है
लहरों का यौवन
जल का धन ।
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(6) घर-आँगन
जल की मनमानी
जीने की ठानी ।
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(7)ककड़ी-भुट्टे
मन को ललचाते
सबको भाते ।
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(8) बूँदें सुनाती
हमें राग मल्हार
आई बहार ।
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(9) आओ बदरा
स्वागत ,वंदन है
तन-मन है ।
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(10) खूब बरसो
गाँव ,महानगर
भीगे डगर ।
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मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Comment
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, नमस्कार। बारिश के मौसम पर शानदार हाइकू रचे हैं आपने। हार्दिक बधाई।
दिली शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी ।
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब , बरसात के मौसम पर ज़बर्दस्त हाइकु हुए हैं, मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।
हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी ।
हार्दिक पटेल आभार आदरणीय श्याम नारायण जी ।
बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।
आ. भाई आरिफ जी, बेहतरीन हाइकू हुए है । बहुत बहुत बधाई ।
जनाब मो.आरिफ साहिब , आदाब। ... बरसात के मौसम पर बहुत ही सुंदर और सारगर्भित हाइकु बने हैं। दिल से बधाई सर।
इस खूबसूरत रचना की हार्दिक बधाई |
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