ऐ आसमान ....
क्या हो तुम
आज तक कोई नहीं
छू पाया तुम्हें
फिर भी तुम हो
ऐ आसमान
किसी बेघर की
छत हो
किसी का ख्वाब हो
किसी परिंदे का लक्ष्य हो
या
किसी रूह का
अंतिम धाम हो
क्या हो तुम
ऐ आसमान
नक्षत्रों का निवास हो
किसी चातक की प्यास हो
मेघों का क्रीड़ा स्थल हो
सूर्य का पथ हो
या
चाँद तारों का आवास हो
क्या हो तुम
ऐ आसमान
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ. भाई सुशील जी, सुंदर रचना के लिए बधाई ।
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,
आसमान के प्रति जिज्ञासा और फिर उसकी गरिमा-गौरव और महत्व को रेखांकित करती सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
आदरणीय सुशील सरना जी बहुत सुंदर यथार्थ परक रचना आपने सृजित की दिल से बधाई
आदरणीय सुशील शरण साहब बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हेतु आप को बधाई ।
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