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ऐ आसमान ....

क्या हो तुम
आज तक कोई नहीं
छू पाया तुम्हें
फिर भी तुम हो
ऐ आसमान

किसी बेघर की
छत हो
किसी का ख्वाब हो
किसी परिंदे का लक्ष्य हो
या
किसी रूह का
अंतिम धाम हो
क्या हो तुम
ऐ आसमान

नक्षत्रों का निवास हो
किसी चातक की प्यास हो
मेघों का क्रीड़ा स्थल हो
सूर्य का पथ हो
या
चाँद तारों का आवास हो
क्या हो तुम
ऐ आसमान

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2018 at 6:02am

आ. भाई सुशील जी, सुंदर रचना के लिए बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on August 22, 2018 at 8:53pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                               आसमान के प्रति जिज्ञासा और फिर उसकी गरिमा-गौरव और महत्व को रेखांकित करती सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on August 22, 2018 at 7:28pm

आदरणीय सुशील सरना जी बहुत सुंदर यथार्थ परक रचना आपने सृजित की दिल से बधाई

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 22, 2018 at 1:33pm

आदरणीय  सुशील शरण साहब बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हेतु आप को बधाई ।

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