For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे मेरे मुक्तक :मात्रा आधारित....

तेरे मेरे मुक्तक :मात्रा आधारित....

1.
ख़्वाब फिर महके हैं सावन की रात में।
जवाँ दिल बहके ..हैं सावन की रात में।
बारिश की बूंदों में .उल्फ़त की आतिश-
जज़्बात दहके हैं ..सावन ..की रात में।

2.
सालों साल उनकी खबर नहीं .आती ।
कभी ख़्वाबों में वो नज़र नहीं  आती ।
ऐसे   रूठे वो   कि . रूठ  गयी  साँसें -
दिल के शहर में अब सहर नहीं आती।

3.
खुशी के पर्दे  में  क्यूँ   नमी .बनी   रहती है।
हर जानिब इक गम की चादर तनी रहती है।
पैबंद   सी   लगती   है  हंसी  अब  होठों पर -
चश्मे साहिल पर गम की स्याही जमी रहती।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 957

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 1, 2018 at 7:58pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .... मुझे आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी। हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 1, 2018 at 7:57pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 1, 2018 at 12:46pm

आ. भाई सुशील जी, सुंदर मुक्तक हुये हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on August 31, 2018 at 10:47pm

मुक्तक के बारे में मुमकिन है कि सौरभ भाई का आलेख हो,मालूम करके बताऊंगा ।

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2018 at 3:52pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब .... बहुत सुंदर सर ... अपना अमुल्य समय देकर मेरे अनुरोध को मान देने का दिल से शुक्रिया सर। सर इसका मतलब ये हुआ कि बराबर की वर्णिक मात्राओं के साथ उसे बह्र में भी बांधना होगा , क्या मैं सही हूँ सर ? सर अपने मंच पर इसकी पूर्ण जानकारी कहाँ उपलब्ध हो सकती हैं। सादर ....

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2018 at 3:45pm

आदरणीय सुरेंदर नाथ जी मुक्तक प्रयास की सरहाना के लिए आपका शुक्रिया। विधा की बारीकियाँ इसी मंच पर सीखने को मिलती हैं। आप सभी गुणीजनों का दिल से आभार जो अपने मार्गदर्शन से रचनाकार को उत्साहित करते रहते हैं। हार्दिक आभार ....

Comment by Samar kabeer on August 31, 2018 at 2:41pm

//ख़्वाब फिर महके हैं सावन की रात में।
जवाँ दिल बहके ..हैं सावन की रात में।
बारिश की बूंदों में .उल्फ़त की आतिश-
जज़्बात दहके हैं ..सावन ..की रात में।

__

'हसीं ख़्वाब महके हैं सावन की रुत में

जवाँ दिल यूँ बहके हैं सावन की रुत में

है बारिश की बूँदों में उल्फ़त की आतिश

यूँ जज़्बात दहके हैं  सावन की रुत में'

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

 122     122    122      122

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2018 at 2:18pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .... सृजन के प्रयास को अपनी ऊर्जावान प्रतिक्रिया एवं सुझाव से मान देने का दिल से आभार। आपका सुझाव उचित है और भविष्य में उस पर अमल करने का प्रयास करूंगा। इसे अभी संशोधित भी करता हूँ। सर प्रस्तुति में से किसी एक मुक्तक को आप जिस रूप में चाहते हैं वैसा संशोधित करने का कष्ट करेंगे तो बंदा आपकी बात को बहुत जल्दी ग्रहण कर लेगा। हार्दिक आभार ... अपना स्नेह बनाएं रखें।

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2018 at 2:13pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है।

Comment by नाथ सोनांचली on August 30, 2018 at 1:07pm

आद0 नरेंद्र जी सादर अभिवादन। आपकी चलताऊ टिप्पणी ओ बी ओ की परंपरा के अनुकूल नहीं है। पीछे भी यह बात कही जा चुकी है। संज्ञान लीजिये। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service