पंडित जी और मुल्ला जी दोनों शाम के वक़्त शहर के सर्वसुविधायुक्त पार्क में चहलक़दमी और कुछ योगाभ्यास करने के बाद पीपल के नीचे चबूतरे पर मूंगफली-दाने चबाते हुए स्मार्ट फोन पर एक-दूसरे को आज की न्यूज़ हाइलाइट्स सुना कर उनसे मुताल्लिक बातचीत करने लगे :
"जब मच्छर, चूहे, नेवले, सांप आदि अपने-अपने ज़रूरी काम से हमारे घरों में घुसते हैं, तो हम परेशान होकर उन पर प्राण-घातक कार्यवाही कर डालते हैं, तो मुल्ला जी हमारे ये वैज्ञानिक दूसरों के घरों में मशीनें-रोबोट आदि भेज कर वहां के दृश्य या अदृश्य जीव-जन्तुओं को भयंकर परेशान करते होंगे! है कि नईं!"
"हओ पंडित जी, बिल्कुल सही कही तुमने! वे सब ख़ुदा से दुआएं मांग कर अपनी एफआईआर तो दर्ज़ भी करते ही होंगे!"
"तभी तो हम धरती के लोगों पर बाढ़, आतंक, दुराचार जैसी कई प्रकार की प्रलयकारी कार्यवाही हो रही है लगातार! हमारे ग्रह में क्या कमी थी या है, जो हम प्रभु के दूसरे ग्रह-नक्षत्रों और एस्ट्रोइड तक में सेंधमारी करें, ऐं!"
"वोई तो हम कहते हैं कि अपनी इस ज़मीन से जुड़े रहो और इस ज़मीन और इसके लोगों की हिफ़ाज़त और ख़िदमत वाले काम करते रहो! वोई सच्ची इबादत है और इल्म का सही इस्तेमाल है!"
"मुल्ला जी, जिज्ञासु होने के जितने लाभ हैं, उससे अधिक नुकसान भी तो हैं!"
"रूहानी और दुनियावी तरक़्क़ी के नज़रियों का फ़र्क़ है दोस्त और कुछ नहीं!"
यह सुनकर पंडित जी ने मुल्ला जी के कंधे पर हाथ डालते हुए कहा - "भगवान क़सम बहुत सुख मिलता है, जब हम साथ-साथ होते हैं और तुम हमें 'दोस्त' कहते हो!"
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा साहिब।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी सार्थक कामना करती हुई बढ़िया लघु कथा के लियव हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
मेरी इस रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब, आ. तेजवीर सिंह साहिब, आ. समर कबीर साहिब, आ. सुशील सरना साहिब, आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा और आदरणीय विजय निकोरे साहिब।
आदरणीय शेख उस्मानी साहिब, आदाब ... इस बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।
आपकी लघुकथा में प्राय: अच्छा संदेश होता है, या होता है तंज जो हमारी आँखे खोल देता है। हार्दिक बधाई, भाई शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, नमस्कार। बढ़िया सन्देश देती अच्छी लघुकथा हुई है। बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बहुत सुन्दर संदेश देती बेहतरीन लघुकथा।
आद0 शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन।एक बेहतरीन लघुकथा आपके हवाले से पढ़ने को मिली। बात भी बढ़िया और सोचने वाली कहि आपने। बधाई निवेदित करता हूँ। सादर
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