गाँववालों की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी, उनको भी पता था कि जब किसी गाड़ी में लोग आते हैं तो कुछ न कुछ बांटते हैं. गाड़ी में से कुछ पैकेट निकाले जा रहे थे और चारो तरफ खड़े लोगों में से कई निगाहें बड़ी हसरत से उन्हें निहार रही थीं.
कुछ समय बाद छोटा सा मंच सज गया और गाड़ी से आये कुछ लोगों ने गांववालों को समझाना शुरू किया "सफाई बहुत जरूरी है चाहे वह घर की हो या अपने शरीर की. आप लोग आज से यह प्रण कीजिये कि आगे से सफाई का पूरा ध्यान रखेंगे. आज हम लोग स्वछता से सम्बंधित सामग्री वितरित करेंगे".
बीमार और कमजोर रग्घू भी पोते के सहारे चला आया था कि कुछ तो मिल ही जायेगा. जैसे ही पैकेट बाँटने शुरू हुए, एक और व्यक्ति ने ऊँची आवाज़ में कहा "और खाना खाने के पहले भी अपने हाथ साफ़ करना बहुत जरुरी है वर्ना गन्दगी पेट में चली जाती है और बीमार बना देती है".
रग्घू के कानों में अचानक खाना शब्द सुनाई दिया और उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी. उसने अपने सूखे होठों पर जीभ फेरी और अगले ही पल वह पोते का हाथ पकडे भीड़ में पूरी ताक़त से घुस गया.
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
जीवन दायनी आधारभूत चीज खाना, जब भूख की तडप होती हैं तो क्या साफसफाई , सब सही।विचारोतजक, संदेशवाहक, साथ ही आधुनिक समाज पर व्यंग्य करती बेहतरीन रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय विनय सरजी।
रचना के मर्म तक पहुंचकर विस्तृत टिपण्णी करने के लिए बहुत बहुत आभार आ डॉ विजय शंकर साहब
यह दया भाव, यह उदारता तो हम बचपन से देखते आ रहे हैं। काश यही साफ़ हो जाती।
सफाई पर व्यंग के लिए बधाई, आदरणीय विनय कुमार जी , सादर।
लघुकथा के मर्म तक पहुंचकर उसपर प्रोत्साहित करनेवाली टिपण्णी के लिए बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब
"भूखे पेट और संभाषण/प्रवचन" की परिणति व सच्चा चित्र शाब्दिक करते हुए विचारोत्तेजक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार साहिब।
लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर विस्तृत टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत आभार आ सुशील सरना जी
लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर विस्तृत टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत आभार आ अजय तिवारी जी
आदरणीय विनय कुमार जी में प्रस्तुत लघु कथा में एक करारा व्यंग छुपा हुआ है जो इस में निहित संवेदना को चित्रित कर रहा है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।
आदरणीय विनय जी, एक और बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई.
इस के व्यंग की तह में एक मानवीयता है जो इसे असाधारण बनाती है.
सादर
बहुत बहुत आभार आ नीलम उपाध्याय जी
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