For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मेरी आवाज़ सुनो!' (लघुकथा)

"सुनो, किसी से चर्चा मत करना! अपने दफ़्तर का प्रोजेक्ट अधूरा भी छोड़ना पड़े, तो भी तुरंत ही अगली बस से यहां लौट आओ!"
"क्यों? क्या हुआ? घबराई हुई सी क्यों हो?"
"ऑफ़िस से लौटने पर आज तो मुझे मेरा सूटकेस ही पूरा खुला हुआ मिला.. और कपड़े बिखरे हुए!"
"कोई क़ीमती सामान चोरी तो नहीं हुआ?"
"क़ीमती ही नहीं.. हमारे जिगर का टुकड़ा भी! .. स्मिता अभी तक घर नहीं लौटी है! ... सूटकेस से मेरी कुछ मंहगी ड्रेसिज़, महंगा हेअर रिमूवर और सेनेटरी नैपकिन्ज़ वग़ैरह सब ग़ायब हैं!"
"तो क्या तुम्हें फिर से वैसा ही शक़ हो रहा है?"
"शक़ ही नहीं, अब तो मुझे यकीन हो रहा है कि हमारी स्मिता अपनी उस मैडम के साथ ही है! कल किसी पिकनिक पर जाने की बात कर रही थी वो मुझसे! ... मेरे मना करने पर भी तुमने क्यों पाला उसे बेटे की तरह? उस मैडम के जाल में फंस गई लगती है और उसी के लिए सब ग़ायब करती रही!"
"ओ गॉड! ... मैं आ रहा हूं! तुम भी किसी से कुछ मत कहना। कुछ घंटों में वह जब घर आये, तो बिटिया से अच्छी सहेली की तरह बात करना। ऊपर वाले को अगर यही मंजूर है, तो हम भी अपने फ़र्ज़ ही निभायेंगे, उसे अच्छी काउंसलिंग दिलाकर!
"तो क्या तुम्हें भी लगता है कि स्मिता सामान्य लड़की नहीं है! उसकी उस मैडम की तरह ही है?"
"तुमने अब तक उन दोनों के बीच की जो बातें और एक्टिविटीज़ बतायीं, उन से तो यही संकेत मिलते हैं न!"
"ओह! अब तो क़ानून ने भी उनकी आवाज़ सुन ली है! अगर यही हक़ीक़त है, तो हम भी सुनेंगे! इकलौती बिटिया है!" नम आंखों के साथ उसने अपना स्मार्ट-फ़ोन ऑफ़ किया और सूटकेस ढंग से जमा कर बेडरूम का बिखरा बिस्तर ठीक करने लगी।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on October 16, 2018 at 4:13pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। वाकई में यहां पर सबको अपनी ज़िन्दगी खुल कर जीने का अधिकार है,, बशर्ते उससे किसी का नुकसान न हो रहा हो। शायद इसी के मद्दे नजर कानूनन भी इस बात की मान्यता मिली। आपकी यह लघुकथा बेहद संजीदगी भरी और सन्देश परक है। बधाई देता हूँ

Comment by Samar kabeer on October 15, 2018 at 11:32am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on October 13, 2018 at 3:32pm

आदरणीय शेख उस्मानी जी, बहुत ही अच्छी लघुकथा हुई है। विशेषकर "अब तो कानून ने भी उनकी आवाज सुन ली है" इस पंक्ति ने कथा में छुपे रहस्य को उजागर कर दिया है। बहुत बहुत  बधाई . 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 13, 2018 at 12:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।समसामयिक समस्या पर बेहतरीन लघुकथा।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 13, 2018 at 9:38am
जनाब शेख शहजाद उस्मानी जी,आदाब! बहुत ही बेहतरीन लघुकथा। ""अब तो कानून ने भी उनकी आवाज़ सुन ली है"" ये एक पंक्ति कथा के छुपे हुवे रहस्य को उजागर करती हुई.....
बहुत बहुत बधाई!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service