For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...ले ली मेरी जान सलीके से-बृजेश कुमार 'ब्रज'

वो बैठा दिल में आन सलीके से
फिर ले ली मेरी जान सलीके से

यूँ ही पहले थोड़ी सी बात हुई
बन बैठे फिर अरमान सलीके से

पल भर को पहलू में आओ चन्दा
इतना तो कर अहसान सलीके से

काफी है पलकों का उठना गिरना
तू नैन कटारी तान सलीके से

दिल की दुनिया लूट गईं दो आँखें
फिर होती हैं हैरान सलीके से

कोने की उस जर्जर अलमारी में
रख छोड़े कुछ अरमान सलीके से

जिनको थी लाज बचानी कलियों की
बन बैठे वो हैवान सलीके से

नाजों से जिसने पाला 'ब्रज' तुमको
तुम रखना उनका मान सलीके से

क्या खूब ग़ज़ल तुमने कह डाली 'ब्रज'
अब तो वो देगा ध्यान सलीके से
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 905

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 7:57pm

आदरणीय समर जी सादर नमस्कार..शुतरगुर्बा को मैंने समझने की कोशिश की है और थोड़ा बहुत समझा भी हूँ फिर इस शे'र में मुझे शुतरगुर्बा समझ नहीं आ रहा!!सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 7:51pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय त्रिपाठी जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 7:51pm

तहेदिल से शुक्रिया ज़नाब सुर्खाब जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 7:49pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी रचना पटल पे आपका हार्दिक स्वागत एवं आभार...सादर

Comment by Samar kabeer on October 26, 2018 at 5:29pm

जनब बृजेश कुमार "ब्रज" साहिब आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'पल भर को पहलू में आओ चन्दा
इतना तो कर अहसान सलीके से'

इस शैर में शुतरगुर्बा ऐब है, देखें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 26, 2018 at 1:07pm

आ0 ब्रज साहब बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई  हार्दिक 

बधाई आपको ।

Comment by Surkhab Bashar on October 26, 2018 at 11:09am

जनाब बृजेश कुमार जी उम्दा ग़ज़ल है

और ज़मीन भी

Comment by TEJ VEER SINGH on October 26, 2018 at 9:40am

हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'जी।बेहतरीन गज़ल।

जिनको थी लाज बचानी कलियों की 
बन बैठे वो हैवान सलीके से

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
5 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
27 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service